Roadways की ट्रांसफर पॉलिसी से कर्मचारी संतुष्ट नहीं, तीन साल वाले बदले, 15 वाले अब भी बैठे

अनेक कर्मचारियों के ट्रांसफर 200-300 किलोमीटर दूर आ रहे हैं। हालांकि अनेक कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो वर्षों से एक ही स्टेशन पर जमे हुए हैं, लेकिन अब ऑनलाइन में भी उनका नंबर नहीं आया है। यह बात ट्रांसफर में शामिल कर्मचारियों को न समझ आ रही है और न ही हजम हो रही है।;

Update: 2023-05-23 07:56 GMT

Narnaul News : ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी (Online Transfer Policy) से कर्मचारी खुश नहीं हैं। अनेक कर्मचारियों पर यह बहुत भारी पड़ रही है तथा उनके ट्रांसफर 200-300 किलोमीटर दूर आ रहे हैं। हालांकि अनेक कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो वर्षों से एक ही स्टेशन पर जमे हुए हैं, लेकिन अब ऑनलाइन में भी उनका नंबर नहीं आया है। यह बात ट्रांसफर में शामिल कर्मचारियों को न समझ आ रही है और न ही हजम हो रही है। इस कारण ट्रांसफर से प्रभावित कर्मचारियों में रोष बना हुआ है। यह हाल फिलहाल रोडवेज महकमे (Roadways Department) का है। नारनौल डिपो के करीब 60 कर्मचारियों को ऑनलाइन ट्रांसफर का खामियाजा भुगतना पड़ा है।

बता दें कि राज्य सरकार की ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी में नारनौल डिपो के लगभग 60 कर्मचारियों का ट्रांसफर हुआ है। यह लिस्ट 19 मई को फाइनल की गई तथा 20 मई को यह ट्रांसफर आदेश लागू हो गए। इस लिस्ट में 20 ड्राईवर, 35 कंडेक्टर तथा पांच क्लर्क शामिल हैं। इन कर्मचारियों नारनौल से अन्यत्र ट्रासंफर कर दिया गया है तथा 21 मई को करीब 20 कर्मचारियों को नारनौल डिपो से रिलीव भी कर दिया गया है, जिसको लेकर कर्मचारियों में रोष बना है। कमाल की बात यह है कि नारनौल डिपो में जो 10-15 सालों से जमे हुए हैं, उनके ट्रांसफर नहीं हुए हैं। इनमें ज्यादातर वह कर्मचारी शामिल हैं, जो हाल ही में या पिछले तीन सालों में ट्रांसफर होकर आए हैं। तीन साल वाले कर्मचारियों को ट्रांसफर कर दिया गया है, जबकि इससे ज्यादा सालों से जमे कर्मचारियों पर पूरा रहमो-करम बरता गया है। इस लिस्ट की खास बात यह भी है कि ट्रांसफर हुए कर्मचारियों में से ज्यादातर बीच के सालों के हैं तथा नए तथा पुराने कर्मचारियों को छेड़ा ही नहीं गया है। इसको लेकर भी कर्मचारियों में रोष बना हुआ है।

रोडवेज डिपो के प्रधान अनिल भीलवाड़ा ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि ऑनलाइन तबादला नीति में कर्मचारियों के साथ सरकार ने बहुत बड़ा धोखा किया है। सरकार ने ऑनलाइन बदली से पहले कर्मचारियों से हां या ना का ऑप्शन मांगा था, जिसमें जो कर्मचारी बदली करवाने के इच्छुक थे, घर के नजदीक जाने के इच्छुक थे, उन्होंने हां का ऑप्शन चुना था और जो बदली नहीं करवाने के इच्छुक थे उन्होंने नो किया था। उसके बाद जिन कर्मचारियों ने यस किया था, उनको स्टेशन भरने के लिए पोर्टल खोला तो पाया कि जिन डिपो में कर्मचारी जाना चाहते थे, उन डिपो का ऑप्शन खुल ही नहीं रहा था, जिसमें कर्मचारी अपने आपको ठगा महसूस कर रहे थे। इतना ही नहीं, जिन कर्मचारियों ने ऑप्शन में नो किया था, उनका भी जबरदस्ती ट्रांसफर कर दिया गया है। बिना किसी आधार के नारनौल डिपो में जितने भी परिचालकों का ट्रांसफर हुआ है, उनमें से 90 प्रतिशत परिचालक वही हैं, जो बाहर डिपो में नौकरी करके आ चुके हैं। उन्हें दोबारा से विभिन्न डिपो में 250 से 300 किलोमीटर दूर दराज डिपो में ट्रांसफर कर दिया गाय है, जबकि उन परिचालकों का ट्रांसफर नहीं किया गया, जो पिछले 15 सालों से नारनौल डिपो में जड़े जमाए बैठे हैं।

डिपो प्रधान अनिल भीलवाड़ा ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि उनका ट्रांसफर इसी महीने की एक तारीख को यमुनानगर से नारनौल हुआ था। अब उनका ट्रांसफर बिना किसी आधार के नारनौल से पलवल डिपो में कर दिया गया है, जबकि ट्रांसफर पॉलिसी में लिखा है कि एकबार ट्रांसफर हुए कर्मचारी को तीन साल तक एक स्टेशन पर रुकना जरूरी है। इस प्रकार ट्रांसफर पॉलिसी के सभी नियमों को ताक पर रखकर उनका ट्रांसफर कर दिया गया है। प्रधान ने परिवहन मंत्री से आग्रह किया है कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए ट्रांसफर हुए कर्मचारियों की समस्या का समाधान करें।

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