कोरोना संक्रमण : लोगों के खान-पान में फिर शामिल हुआ हल्दी दूध और काढ़ा
जब कोरोना का प्रभाव कम हुआ तो अधिकांश लोगों ने इनका सेवन बंद कर दिया। अब एक बार फिर कोरोना पांव पसार है। कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए लोगों को भी पुराने आयुर्वेदिक नुस्खें फिर से याद आने लगे हैं।;
हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़
कोरोना संक्रमण का प्रभाव एक बार फिर से बढ़ रहा है। इसे देखते हुए लोगों ने अपने खान-पान में बदलाव शुरू कर दिया है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों ने हल्दी दूध और काढ़े को अपने खान-पान में शामिल कर लिया है। आयुर्वेदाचार्य भी लोगों को हर्बल चाय, च्यवनप्राश, काढ़ा, हल्दी दूध को सेवन करने की सलाह दे रहे हैं।
दरअसल, पिछले साल जब कोरोना संक्रमण फैलना शुरू हुआ था तो आयुष विभाग ने लोगों को आयुर्वेद के जरिये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की सलाह दी थी। लोगों ने काढ़ा, हल्दी दूध आदि अपनी दिनचर्या में शामिल किए, जिसके सकारात्मक परिणाम भी दिखे। जब कोरोना का प्रभाव कम हुआ तो अधिकांश लोगों ने इनका सेवन बंद कर दिया। अब एक बार फिर कोरोना पांव पसार है। कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए लोगों को भी पुराने आयुर्वेदिक नुस्खें फिर से याद आने लगे हैं। बाजार में हर्बल चाय, च्यवनप्राश व काढ़ा बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाली जड़ीबूटियाें व मसालों की दवाओं की डिमांड बड़ गई है। पंसारी सन्नी ने बताया कि इन दिनों काली मिर्च, गरम मसाले, सूखी अदरक, किशमिश, च्यवनप्राश, सफेद मूसली, तुलसी पाउडर आदि की बिक्री बढ़ गई है। लोग काढ़ा बनाने के लिए इनकी खरीदारी कर रहे हैं।
आयुर्वेदाचार्य डॉ. अशोक मिश्रा कहते हैं कि आयुर्वेद से लगभग हर बीमारी की रोकथाम व उपचार संभव है। कोरोना काल में आयुर्वेदिक नुस्खों से लोगों को बहुत लाभ हुआ। चूंकि अब फिर से कोरोना बढ़ रहा है तो हमें कम से कम एक गिलास हल्दी वाला दूध जरूर पीना चाहिए। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही, अन्य कई बीमारियों में भी काफी लाभ मिलता है। दिन में एक या दो कप काढ़ा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। काढ़े का इस्तेमाल सीमित करें तो लाभ होगा। अधिक मात्रा में लेने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि फिलहाल गर्मी ज्यादा पड़ रही है। तुलसी की चाय, च्यवनप्राश के सेवन से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यदि दिनचर्या में योग को शामिल करें, तो काफी बेहतर रहे।