उड़न सिख मिल्खा सिंह बोले : हाथों की लकीरों से जिंदगी नहीं बदलती

पूर्व ट्रेक एवं फील्ड एथलीट, और पद्मश्री से सम्मानित, मिल्खा सिंह ने एक प्रेरणादायी भाषण दिया और युवाओं के साथ अपनी जिंदगी के कुछ खास पलों का जिक्र किया। वह विद्यादान ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एक खास ऑनलाइन वर्कशॉप में बोल रहे थे।;

Update: 2021-01-02 16:11 GMT

चंडीगढ़। प्रसिद्ध शख्सियत मिल्खा सिंह ने एक ऑनलाइन वर्कशॉप में कहा - 'हाथों की लकीरों से जिंदगी नहीं बदलती। बगैर कठोर परिश्रम, समर्पण और इच्छा शक्ति के कोई भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है। कोई भी कुछ भी बन सकता है, बशर्ते वह इच्छा शक्ति और साहस के साथ आगे बढ़े। '

पूर्व ट्रेक एवं फील्ड एथलीट, और पद्मश्री से सम्मानित, मिल्खा सिंह ने एक प्रेरणादायी भाषण दिया और युवाओं के साथ अपनी जिंदगी के कुछ खास पलों का जिक्र किया। वह विद्यादान ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एक खास ऑनलाइन वर्कशॉप में बोल रहे थे।

इम्युनिटी एवं स्ट्रेंग्थ ही अल्टीमेट उपाय है, इस विषय पर एक ऑनलाइन वर्कशॉप का आयोजन विद्यादान ने स्पोटर््स 13 के साथ मिलकर किया था, जिससे कि युवाओं को मौजूदा महामारी के समय में एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके। वर्कशॉप में भाग लेने वाले अन्य वक्ताओं में शामिल थे - पूर्व राष्ट्रीय एथलीट यादविंदर सिंह, खेल चिकित्सा सलाहकार डॉ. सतबीर, जो भारतीय हॉकी टीम के चिकित्सक एवं व्यायाम फिजियोलॉजिस्ट भी रह चुके हैं।

ऑनलाइन वर्कशॉप के पहले दिन, जाने-माने भारतीय ट्रैक एवं फील्ड एथलीट, मिल्खा सिंह एवं पूर्व राष्ट्रीय एथलीट यादविंदर सिंह ने जीवन में सफलता के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और ताकत के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किये।

मिल्खा ने कहा कि इस महामारी ने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के महत्व को उजागर किया है और यह साबित कर दिया कि अस्वास्थ्यकर जीवन शैली और खराब भोजन आदतों के चलते हम कि तने कमजोर हो चुके हैं। उन्होंने सभी को स्वास्थ्यवर्धक भोजन करने और प्रतिदिन 10-15 मिनट तक व्यायाम करने को कहा, ताकि शरीर की चुस्ती-फुर्ती को कायम रखा जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि शारीरिक और मानसिक दोनों ही पहलुओं पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।



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