UGC-NET पेपर लीक मामला : परीक्षा अच्छी होने का फीडबैक लेकर ली जाती थी तय राशि
परीक्षार्थियों को पेपर उपलब्ध करवाने की एवज में प्रत्येक से तीन लाख रुपये तय किए गए थे। राशि परीक्षा समाप्त होने तथा पेपर अच्छा होने पर दी जाती थी। यानि धोखाधडी का धंधा विश्वास तथा ईमानदारी पर टिका हुआ है।;
सतेंद्र पंडित : जींद
केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न पदों के लिए भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक लैब में सेटिंग तथा फर्जी परीक्षार्थी बैठाने का मामला भले ही धोखाधडी हो लेकिन यह धोखाधडी विश्वास और ईमानदारी की बुनियाद पर टिकी होती है। ऐसा ही खुलासा यूजीसी नेट परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक करने के मामले में हुआ है। परीक्षार्थियों को पेपर उपलब्ध करवाने की एवज में प्रत्येक से तीन लाख रुपये तय किए गए थे। राशि परीक्षा समाप्त होने तथा पेपर अच्छा होने पर दी जाती थी। यानि धोखाधडी का धंधा विश्वास तथा ईमानदारी पर टिका हुआ है।
यूजीसी नेट परीक्षा का पेपर लीकेज का कार्य बकायदा गिरोह के सदस्यों ने बांटा हुआ था। किसी का कार्य परीक्षार्थियों को जुटाना था तो किसी का कार्य परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र पढाने के लिए आगे लेकर जाना था तो किसी को कार्य प्रश्न पत्र पढाने का सौंपा गया था। जबकि परीक्षार्थियों को जुटाने वाले कैरियर के पास ही राशि को एकत्र किया जाता था। फिर राशि प्रश्न पत्र उपलब्ध करवाने वाले व्यक्ति के पास पहुंचती थी। उससे आगे राशि मुख्य सरगना तक पहुंचती थी। हालांकि मुख्य सरगना सीआरपीएफ जवान विकास पुलिस की पकड से बाहर है। नेट के प्रश्न पत्र को कितने में लीकेज करवाया था और विकास ने किन किन को प्रश्न पत्र भेजा, इसका खुलासा विकास के पकड़ेजाने के बाद हो पाएगा।
तीन लाख हुए तय, 20 हजार था कमीशन
यूजीसी नेट परीक्षा प्रश्न पत्र लीक की पहली कडी गांव खटकड निवासी राहुल से जुडी। जिसने अपने रिश्तेदारों समेत 17 लोगों को तैयार किया। प्रत्येक से तीन-तीन लाख रुपये देने तय हुए। राहुल का उस राशि में से कमीशन 20 हजार रुपये था। दो लाख 80 हजार रुपये राहुल ने गांव पथराव महेंद्रगढ निवासी रिंकू को देने थे। हालांकि सुबह के सत्र का प्रश्न पत्र लीक हुआ था, जिसमे छह परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र पढाया गया था। सायं काल सत्र के 11 परीक्षार्थी थे, जिनके पास प्रश्न पत्र नहीं पहुंचा। उससे पूर्व गिरोह का भंडा फूट गया और तीन मुख्य सुत्रधारों समेत नौ लोग पुलिस के हत्थे चढ गए।
भिवानी अकादमी संचालक ने रात को पढाया प्रश्न पत्र
लीकेज प्रश्न पत्र को गांव पथरावगढ निवासी रिंकू के पास भेजा गया था। प्रश्न पत्र को भिवानी व गांव न्यना के बीच रात के समय किसी फार्म हाउस पर अकादमी संचालक गांव बामला निवासी पुनीत ने पढाया था। रविवार अल सुबह पढाए गए प्रश्न पत्र के बाद छह परीक्षार्थियों को अर्जुन, अमरजीत, विक्रम, अभिषेक, दीपक, मनजीत ने उन्हें गाडियों से गंतव्य तक पहुंचाया था। हालांकि परीक्षार्थियों को अभी तक पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है।
अच्छी परीक्षा होने के बाद राशि देना हुआ था तय
धोखाधडी के धंधे में विश्वास और इमानदारी की बात यह सामने आई कि प्रश्न पत्र पढाने का भाव तो तीन लाख रुपये तय कर दिया गया था, साथ ही यह भी तय हुआ था कि प्रश्न पत्र पढाने के बाद परीक्षा अच्छी होने पर राशि का भुगतान किया जाएगा। परीक्षा समाप्त होने के बाद बकायदा परीक्षार्थी से कुल अंकों के बारे में पूछा जाता था। जिसके बाद ही तय राशि का भुगतान किया जाता था।
डीएसपी जितेंद्र ने बताया कि प्रश्न पत्र के लिए तीन लाख रुपये तय किए गए थे। परीक्षा अच्छी होने पर राशि का भुगतान किया जाता था। गिरोह के लोगों ने बकायदा कार्य बांटे हुए थे। साल्व प्रश्न पत्र कौन पढाएगा, कहां पर प्रश्न पत्र पढाया जाएगा। परीक्षार्थियों को कौन लेकर आएगा समेत अन्य जिम्मवारियां सौंपी गई थी। फिलहाल पेपर लीकेज मामले के नेटवर्क से जुडे लोगों की तह तक पुलिस टीमें पहुंचने की कोशिश कर रही हैं।
पुलिस गिरफ्त में यूजीसी हिन्दी नेट परीक्षा का प्रश्न पत्र लीकेज के आरोपित।