Vegetable Price : शादी सीजन शुरू होने से पहले ही आसमान छू रहे सब्जियों के दाम, रसोई का बजट गड़बड़ाया
इन दिनों सब्जियों के आसमान छूते दामों से हर परिवार में रसोई का बजट गड़बड़ा रहा है। थाली के स्वाद में महंगाई की कड़वाहट की आने लगी है, जो थमने का नाम नहीं ले रही। आम आदमी की थाली से सब्जियां गायब होने लगी हैं तो मध्यम वर्ग भी थाली के स्वाद में कटौती करने लगा है।;
नारनौल। सखी सैंया तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाये जात है। फिल्म पीपली लाइव का यह लोकप्रिय गीत महंगाई की चक्की में पिस रहे आम आदमी के दर्द को बयां करने के लिए काफी सटीक बैठता है। वैसे तो सभी जरूरत की वस्तुओं के दामों में महंगाई की मार साफ देखी जा रही है, लेकिन आजकल सब्जियों की दाम इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि आम आदमी की थाली से गायब होने लगी हैं। लगभग सभी सब्जियों में प्रयोग किए जाने वाले टमाटर गुस्से से लाल है और इस समय करीब 60 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है। यह हाल तब है, जब शादी सीजन शुरू भी नहीं हुआ है। देव उठनी को चार नवंबर से शादी सीजन शुरू होना है और तब सब्जियों के दाम और बढ़ने की प्रबल संभावना है।
इन दिनों सब्जियों के आसमान छूते दामों से हर परिवार में रसोई का बजट गड़बड़ा रहा है। थाली के स्वाद में महंगाई की कड़वाहट की आने लगी है, जो थमने का नाम नहीं ले रही। आम आदमी की थाली से सब्जियां गायब होने लगी हैं तो मध्यम वर्ग भी थाली के स्वाद में कटौती करने लगा है। यहां तक कि सक्षम परिवारजनों के माथे पर भी सब्जी के भावों में इतना उछाल देख खाने से पहले पसीने देखे जा रहे है। ऐसे में निर्धन, अल्प व मध्यम आय वाले परिवार के लिए हरी व पत्तेदार सहित सभी तरह की सब्जियां दूर होती जा रही हैं। आम आदमी के लिए कई सब्जियां तो इतनी महंगी हैं कि खरीद पाना ही मुश्किल हो गया है। रोजमर्रा के आलू-टमाटर भी पर्याप्त खरीदना बूते से बाहर हो गए हैं। नीबू, भिंडी, कद्दू, पालक, करेला, लोकी, बैंगन, टिंडे, ग्वार की फली, गाजर, मूली, फूल व पत्ता गोभी, अदरक, परमल, सिंगरी, हरि मिर्च, हरा धनिया व मैथी सहित सभी तरह की सब्जियों के दाम उछाल पर हैं। लोग बाजार में सब्जी खरीदने से पहले मोल-भाव पर ध्यान देने लगे हैं। पांच सदस्यों के परिवार में एक वक्त की सब्जी बनाने में कम से कम 80 से 100 खर्च हो रहे हैं। इन हालातों में लोगों को अब घर में एक वक्त ही सब्जी बनाकर काम चलाना पड़ रहा है।
गृहिणी आशा देवी ने बताया कि सब्जी की कीमतों में एकबार फिर भारी उछाल आ गया है। अब सब्जियां आम-आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही है। महंगी सब्जी ने लोगों के खाने का जायका ही बिगाड़ दिया है। स्थिति यह है कि अब आम आदमी की थाली से गरीब की सब्जी कहे जाने वाले टमाटर भी गायब होता दिख रहा है। बाजार में 50-60 रुपये किलो से कम कोई सब्जी नहीं है। सरकार का कार्य लोगों को राहत देना है, लेकिन महंगाई पेट के लिए आफत बन गई है।
विजय सिंह ने बताया कि खाना पकाने के लिए जो सब्जी चाहिए, उन सभी की कीमत बढ़ रही हैं। इससे आम व मध्यम वर्ग परेशान है। कमाल की बात यह है कि जो सब्जियां किसान उगाता है, वह किसान तो आज भी ठगा हुआ है। मंडी के व्यापारी उसकी सब्जी औने-पौने दामों में खरीद कर महंगे दामों पर बेचते हैं। ऐसे में मार्केटिंग बोर्ड को अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी चाहिए और सब्जियों व अनाज का टैक्स लेने के साथ ही इनके रेट भी तय करने चाहिए।
सब्जी विक्रेता महेंद्र सैनी ने बताया कि पिछले दिनों इलाके में दो बार तीन-चार दिन तक भारी बरसात हुई थी। उस बरसात से सब्जी की फसल में भारी नुकसान हुआ था, जिससे इन दिनों सब्जियों की आवक कम हो गई है। नई सब्जियां अभी मार्केट में आना शुरू नहीं हुई हैं। दूसरी ओर पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने का नाम नहीं ले रहे। इस कारण ट्रासंपोर्ट भी काफी महंगा पड़ रहा है। इससे परिवहन खर्च काफी बढ़ा हुआ है, जिससे भी सब्जी के भावों में बढ़ोतरी हो गई है।
सब्जियों की दाम प्रति किलोग्राम में:
टमाटर : 60-70 रुपये
हरी मिर्च : 80 रुपये
भिंडी : 80 रुपये
पत्ता गोभी : 60 रुपये
फूल गोभी : 60 रुपये
आलू : 30 रुपये
प्याज : 30 रुपये
टींडा : 40 रुपये
खीरा : 30 रुपये
बैंगन : 60 रुपये
शिमला मिर्च : 60 रुपये
करेला : 50 रुपये
जौआ मिर्च : 100 रुपये
पालक : 10 रुपये एक गड्डी
हरा धनिया : 30 रुपये एक पाव
घीया : 30 रुपये