अंबाला सेंट्रल जेल के बंदी का कोरोना पर गाए गाने का वीडियो जारी
यह गाना कोरोना के मुद्दे पर जागरुकता लाने के लिए लिखा है। यह गाना पंजाबी में है और इसके शुरुआती शब्द हैं- कोरोना तों बच बंदया, पता नहीं कदों किनूं लग जाना। मुंह ते मास्क लगा ले तू, नहीं ते तूं दुनिया तो जाना।;
हरिभूमि न्यूज. अंबाला
अंबाला सेंट्रल जेल के बंदी शेरू अब खूबसूरत आवाज के जरिए अब दुनिया से जुड़ गए हैं। जेल के रेडियो ने उसे एक नई पहचान दे दी है। अब लेखक के साथ साथ गायक भी बन गया है। सेंट्रल जेल और तिनका तिनका फाउंडेशन के द्वारा जारी किए गए एक छोटे से वीडियो में शेरू की इस प्रतिभा को पेश किया गया है। शेरू ने यह गाना कोरोना के मुद्दे पर जागरुकता लाने के लिए लिखा है। यह गाना पंजाबी में है और इसके शुरुआती शब्द हैं- कोरोना तों बच बंदया, पता नहीं कदों किनूं लग जाना। मुंह ते मास्क लगा ले तू, नहीं ते तूं दुनिया तो जाना।
40 साल के शेरू को 10 साल की सजा हो रखी है। वह साढ़े तीन साल की सजा पूरी कर चुका है। दिसंबर 2020 में राज्य की जेलों के 21 बंदियों के साथ उसका चयन भी जेल रेडियो के जॉकी के तौर पर हुआ था। उसकी दिलचस्पी गाने, लिखने और खुद गाने में ज़्यादा थी, इसलिए जेल रेडियो में उसे गानों के काम की जिम्मेदारी दी गई। जेल में आने से पहले शेरू को गाने का तो शौक तो था लेकिन उसे कभी कोई मंच नहीं मिला। जेल रेडियो की बदौलत शेरू अब गायक के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है।अंबाला की केंद्रीय जेल देश की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक जेलों में शामिल है। 1872 में बनी यह जेल हरियाणा की तीन केंद्रीय जेलों में से एक है जिसमें वर्ष 1949 में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को फांसी दी गई थी। 1228 बंदियों की क्षमता वाली इस जेल में फिलहाल करीब 1250 बंदी हैं। इनमें 77 महिलाएं भी शामिल हैं। जेल में इस समय 4 बच्चे भी अपना मांओं के साथ रह रहे हैं।
गाने का हुआ स्वागत
शेरू के इस गाने को रिलीज़ करते हुए जेल के अधीक्षक श्री लखबीर सिंह ने कहा, सुबह के समय जब भी मैं जेल के राउंड पर निकलता हूं तो यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि सभी 6 बंदी रेडियो रूम में बैठकर किसी सृजन में मग्न हैं। कोई कुछ लिख रहा होता है तो कोई रेडियो पर बात कर रहा होता है। शेरू गाने लिखने में व्यस्त दिखाई देता है। शेरू के गानों के सामने आने से बाकी बंदियों का मनोबल भी बढ़ेगा।
जेल सुधारक और हरियाणा की जेलों में रेडियो लाने की पहल करने वाली डॉ. वर्तिका नन्दा का कहना है जेल के रेडियो ने बंदियों को खुशियां की पोटलियां दे दी हैं। अब अपनी प्रतिभा को लेकर नए प्रयोग कर रहे हैं। शेरू का गाना हम तिनका जेल रेडियो के पॉडकास्ट और स्पॉटीफाई जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर जारी कर रहे हैं।
हरियाणा में कुल 19 जेलें हैं। 2020 से अब तक इन जेलों में ऑडिशन के बाद 47 बंदियों को रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग दी गई है जिनमें से 6 अंबाला जेल से हैं। इन बंदियों को तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा ने दिसंबर 2020 में एक रेडियो वर्कशाप के जरिए प्रशक्षिति किया था। जेल रेडियो का मकसद बंदियों की संचार की जरूरतों को पूरा करना है। कोरोना के दौर में जेल रेडियो बंदियों के मानसिक संबल को बनाए रखने में काफी मददगार साबित हुआ है। अंबाला जेल रेडियो पर रोज एक घंटे रेडियो का प्रसारण होता है जो विशेष रूप से डिजाइन किए गए स्टूडियो से संचालित होता है।