पहले मिल चुकी 3 हजार साल पुरानी वस्तुएं : फतेहाबाद के कर्ण कोट टीले की मिट्टी बहने से गुप्त वंश के समय की दीवार निकली
जहां से पुरानी चीजें मिली हैं, उस जगह कर्ण कोट टीले को हरियाणा सरकार ने संग्रहालय बनाने के लिए मंजूरी दी हुई है। उसी के चलते पुरातत्व विभाग ने अधिग्रहण करने की अधिसूचना प्रक्रिया चल रही है।;
हरिभूमि न्यूज : भूना ( फतेहाबाद )
खंड के गांव भट्टू में कर्ण कोट टीले पर शुक्रवार को तेज बारिश होने के कारण मिट्टी बह जाने से एक मकान की दीवार दिखाई दी है। इस मकान में लगी ईंटे गुप्त वंश के समय की होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि इससे पूर्व भी कई बार कर्ण कोट टीले पर कसाण व गुप्तवंश के तीन हजार साल पहले की पुरानी चीजें मिल चुकी है, जिनमें आटा चक्की, चांदी के सिक्के, तलवार के कुंडे, पिघला हुआ लोहा, दो चक्र, मोहर, मंदिर होने के निशान तो वहीं एक काले रंग की मूर्ति भी मिली है। जहां से ये चीजें मिली हैं, उस जगह कर्ण कोट टीले को हरियाणा सरकार ने संग्रहालय बनाने के लिए मंजूरी दी हुई है।
उसी के चलते पुरातत्व विभाग ने अधिग्रहण करने की अधिसूचना प्रक्रिया चल रही है। पुरातत्व विभाग इस जगह को खरीद कर इस पर आगे की शोध शुरू करेगा। पुरातत्व विभाग की टीम यहां पर दौरा कर चुकी है। गांव के ही सेफ्टी इंजीनियर अजय कुमार ने बताया कि जब उन्हें गांव से कुछ दूरी पर खेतों में बिखरे हुए पत्थर और कंकाल के अंश मिले तो फिर उन्होंने खुद ही इस पर शोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्हें कई ऐसी चीजें मिली, जिसमें कुछ चीजें तीन हजार साल पुरानी थी, जो कसाण वंश व गुप्तवंश काल की थी। अजय ने पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया तो डायरेक्टर बुनानी भट्टाचार्य अपनी टीम के साथ पांच माह पहले मौके पर आए थे। इसके बाद उन्होंने भी यह माना कि यह वस्तुएं तीन हजार साल पहले की हैं। इन चीजों को पुरातत्व विभाग की टीम को सौंप दिया। अजय को जिम्मेवारी दी कि वह इस जगह की देखरेख करें और अन्य कुछ मिले तो उन्हें समय-समय पर जानकारियों से अवगत करवाते रहें।
पहले गांव था कर्ण कोट
सेफ्टी इंजीनियर अजय कुमार ने बताया कि भट्टू में जमीन के नीचे जो पुराने समय के अंश मिले हैं, उस जगह का नाम कर्ण कोट बताया गया है, जो एक गांव था। इतिहास के मुताबिक यह गांव संघर्ष की कहानी ब्यां करता है। इस जमीन के आसपास कई कंकाल के अंश उन्हें मिले हैं। यहां एक वॉटर चैनल काफी घेरे में बना हुआ है। यहीं नहीं, एक कुंआ भी है, जो काफी वर्ष पुराना है। यहां से चांदी के सिक्के, आटा पीसने की चक्की, पिघला हुआ लोहा, मिट्टी की मटकी तथा कई प्राचीन काल के अवशेष मिले थे, वहीं संगमरमर के लाल पत्थर के टुकड़े मिले थे, जो दिल्ली के लाल किले के निर्माण में प्रयोग हुआ है। कसाण समय का एक पत्थर ऐसा है, जो फर्श को चिकना बनाने के लिए प्रयोग होता है। जो अंश पुरातत्व विभाग को सौंपे गए हैं, वह मौर्य काल, कसाण, गुप्तवंश तथा मुगल काल समय के अवशेष हैं। अजय कुमार ने बताया कि महाजनपद कालीन पंच का मिलना इस बात का संकेत है कि यह महानगर वैदिक काल से यहां अस्तित्व में था, जो सरस्वती नदी के तट पर स्थापित था। 3 सितंबर की रात्रि को हुई तेज बारिश के बाद एक मकान की दीवार दिखाई दी है।
प्राचीन काल के अवशेष मिले : डिप्टी डायरेक्टर
पुरातत्व विभाग की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. बुनानी भट्टाचार्य का कहना है कि गांव भट्टू में हजारों साल पहले के अंश मिले हैं। कर्ण कोट गांव का जमीन के नीचे दबा हुआ होना माना जा रहा है। जमीन को अधिग्रहण करने के लिए सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके बाद पुरातत्व की टीम वहां खुदाई करेगी और अन्य कई महवपूर्ण जानकारियां जुटाएगी, ताकि और पुराना सामान मिल सके।