Weather Update : दिवाली से पहले ही छाया हल्का स्मॉग, सूर्यदेव की चमक फीकी पड़ने से गिरा पारा, जानें मौसम पूर्वानुमान
नवंबर माह आते-आते ही आसमान भी धुंधला होने लगा है। हालांकि अभी ज्यादा स्मॉग नहीं छाया है। मगर आसमान धुंधला होने के कारण लोगों को ठंड का भी अहसास होने लगा है। मौसम में छाए इस स्मॉग का कारण प्रदूषण ही माना जा रहा है।;
हरिभूमि न्यूज : महेंद्रगढ़
इस बार दिवाली से पहले ही अक्टूबर माह में ही हल्का स्मॉग छा गया है। जिस कारण सूर्यदेव की चमक भी फीकी रहने लगी है। स्मॉग छाने के कारण तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई, वहीं एयर क्वालिटी इंडेक्स 110 रहा। हालांकि यह ज्यादा खतरनाक नहीं है, मगर सेहत के लिए बेहतर भी नहीं है। वहीं अधिकतम तापमान जहां 30 डिग्री सेल्सियस सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस कम तथा न्यूनतम तापमान 13.3 डिग्री सेल्सियस सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस कम रहा। वहीं अधिकतम आद्रता 83 प्रतिशत व न्यूनतम आद्रता 70 प्रतिशत रही।
नवंबर माह आते-आते ही आसमान भी धुंधला होने लगा है। हालांकि अभी ज्यादा स्मॉग नहीं छाया है। मगर आसमान धुंधला होने के कारण लोगों को ठंड का भी अहसास होने लगा है। मौसम में छाए इस स्मॉग का कारण प्रदूषण ही माना जा रहा है। अभी एयर क्वालिटी की मात्रा खतरनाक तो नहीं पहुंची है, लेकिन यह सेहत के लिए हानिकारक स्थिति पर आ गई है। शुक्रवार को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 110 रहा। आसमान में हल्का धुंधलापन होने के कारण हल्की ठंड का अहसास भी लोगाें को होने लगा है। वहीं रात के तापमान में भी काफी गिरावट दर्ज की जा रही है। जिस कारण लोग गर्म कपड़ों को भी निकालने लगे हैं। दिन के समय धूप भी सुहाना लगने लगा है।
दीपावली के बाद पड़ती है स्मॉग
अक्सर स्मॉग अत्यधिक आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण के चलते दीपावली के बाद पड़ता है। नवंबर माह में यह प्रदूषण ज्यादा होता है। मगर इस बार अक्टूबर माह से ही दीपावली से पहले बिना आतिशबाजी के ही स्मॉग छाने लगा है। अक्टूबर के अंतिम दिनों में ही स्मॉग छाने लगा है।
क्या है मौसम पूर्वानुमान
30 अक्टूबर से 3 नवंबर के बीच मौसम आमतौर पर मौसम शुष्क संभावित रहेगा। इस दौरान दिन व रात के तापमान में हल्की गिरावट की संभावना है। इसके बाद शुष्क मौसम संभावित है।
मौसम आधारित कृषि सलाह
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि मौसम विशेषज्ञ डा. दिवेश चौधरी ने बताया कि इस दौरान आमतौर पर मौसम शुष्क रहने की संभावना को देखते हुए किसानों को सरसों/चना की फसल के लिए खेत तैयार करने व बिजाई करने की सलाह दी जाती है। किसान कपास में रुई की चुनाई औस के वाष्पीकरण के बाद करें।