Deepender Hooda के रिवर्स ऑपरेशन लोटस इन हरियाणा की सच्चाई क्या है? जरूर पढ़ें ...

हरियाणा में रिवर्स आपॅरेशन लोटस चल रहा है। ये बयान इसलिए वायरल हो गया, क्योंकि इसे दीपेंद्र हुड्डा ने बोला है और मीडिया ने भी इसको हाथों हाथ ले लिया? क्या वास्तव में आपरेशन रिवर्स लोट्स चल रहा है? या इसमें कोई झोलझाल है? सच्चाई क्या है?;

Update: 2023-07-06 15:01 GMT

धर्मेंद्र कंवारी रोहतक : एक खबर काफी वायरल है कि हरियाणा में रिवर्स आपॅरेशन लोटस चल रहा है। ये बयान इसलिए वायरल हो गया, क्योंकि इसे दीपेंद्र हुड्डा ने बोला है और मीडिया ने भी इसको हाथों हाथ ले लिया? क्या वास्तव में आपरेशन रिवर्स लोट्स चल रहा है? या इसमें कोई झोलझाल है? सच्चाई क्या है? आपने भी दीपेंद्र हुड्डा (Deepender Hooda) का वो वीडियो देखा होगा, जिसमें वो पिछले कुछ महीनों में भाजपा छोड़कर 29 पूर्व विधायक कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं, इसकी बात कह रहे हैं और यही ऑपरेशन रिवर्स के नाम की कहानी है हरियाणा में।

इस पर बात करने से पहले आपको मैं एक कहानी और सुनाता हूं। एक बार एक सज्जन मुझसे जींद से मिलने आए, उनका नाम है राजेंद्र गुप्ता और वो आम आदमी पार्टी से जुडे़ हुए थे। फिलहाल वो काफी बीमार चल रहे हैं और लकवाग्रस्त हैं लेकिन उन्होंने मुझे एक गजब बात कही थी जो मुझे आज तक याद है। उनका कहना था कि आम आदमी काफी पूर्व विधायकों से हरियाणा में बात कर रही है जो आम आदमी पार्टी को ज्वाइन करने वाले हैं। मैंने कहा कि पूर्व विधायकों को शामिल करवाने पर आपकी पार्टी का इतना जोर क्यों है? इस पर उनका जवाब बहुत गजब का था? गुप्ता ने बिल्कुल बणियों वाले अंदाज में कहा कि धर्मेंद्र ब्याह में गए हो ना? मैंने कहा गया हूं। ब्याह में दो ही इंसानों की कद्र होती है, एक दूल्हे की और दूसरी दुल्हन की लेकिन सोचों ब्याह में लाइट ना लगी हों तो शादी सजेगी नहीं। ये चुनाव ब्याह होते हैं और ब्याह में चसबूझ लट्टू सजावट के लिए होते हैं। ये एक्स एमएल चसबूझ लट्टू हैं जो चुनाव जीते या जीतें, इनको टिकट मिले या ना मिले, ये ब्याह को रंग लगाने के काम आते हैं। इसलिए हर पार्टी पूर्व विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करवाती है और चुनाव के ब्याह को रंग लगाती है।

अब मैं रिर्वस आपॅरेशन लोटस पर आता हूं। पत्रकार होने के नाते शक करना मेरी आदत है इसलिए मैंने कांग्रेस पार्टी के कई प्रवक्ताओं को फोन लगाया और उन 29 पूर्व विधायकों की सूची मांगी जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस ज्वाइन की है तो हामी भरने के बाद भी वो लोग ये सूची उपलब्ध नहीं करवा पाए। फिर मैंने बहुत सी जगहों पर ढूंढकर उन विधायकों के नाम खोजे जिन्होंने 2019 के चुनाव के बाद कांग्रेस ज्वाइन की है तो 16 विधायकों के नाम ही मिले हैं। हो सकता है कि 13 विधायकों के नाम मैं नहीं ढूंढ पाया हूं। आपको पता है तो आप बता सकते हैं। 

जो नाम मैंने ढूंढे हैं उनमें से अधिकतर वो पूर्व विधायक हैं जो एक-एक नहीं, दो-तीन पार्टियों में घूमकर वापस कांग्रेस में आए हैं। कई तो ऐसे हैं जो विधायक ही कांग्रेस से बने थे और बाद में भाजपा में चले गए। अब कांग्रेस में वापस आए हैं। इनको ऑपरेशन रिवर्स लोट्स कहा जाए, पलटू मार कहा जाए, मुझे तो समझ नहीं आता। खैर मैं सूची पढ़ता हूं। कांग्रेस ज्वाइन करने वालों में बाढडा के पूर्व विधायक नरपेंद्र श्योराण हैं। भाजपा में काफी अच्छी पॉजिशन के नेता रहे हैं। हविपा से विधायक चुने गए थे, उनके पिता अतर सिंह मांढी भी पूर्व मंत्री रहे हैं। उनके भतीजे सुखविंद्र मांढी भी भाजपा से बाढड़ा से विधायक रहे हैं।

कर्नल रघुबीर सिंह छिल्लर भी बाढडा के विधायक रहे हैं। एक बार चुनाव जीते हैं, चौटाला साहब के काफी नजदीकी थे, इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड के चैयरमैन भी रहे हैं। कई पार्टियां घूम घाम चुके हैं, आदमी भले हैं, अब कांग्रेस में आए हैं। फूल सिंह खेडी गुहला चीका से विधायक रहे हैं, 2009 में इनेलो की टिकट पर गुहला चीका से विधायक चुने गए थे। ये भी कई पार्टियां देखकर कांग्रेस में आए हैं। रामबीर सिंह 2009 में इनेलो की टिकट पर पटौदी से विधायक चुने गए थे और उन्होंने दलित नेता डॉ. कृपा राम पूनिया को हराया था। थानेसर के पूर्व विधायक रमेश गुप्ता ने 2005 में कांग्रेस की टिकट पर इनेलो के अशोक अरोडा को हराया था। गुप्ता भी कई पार्टियां देख चुके हैं। पदम सिंह दहिया इनेलो के विधायक थे 2000 में खरखौद से, अब कांग्रेसी हो चुके हैं। पानीपत से 1996 में हविपा के विधायक रहे बिजेंद्र कादियान भी कांग्रेसी हो चुके हैं। भिवानी के पूर्व विधायक शिवशंकर भारद्वाज कांग्रेस से विधायक बने थे 2005 में, इसके बाद हार गए, जजपा से भी चुनाव लडा, अब वापस कांग्रेस में आए हैं। शारदा राठौड बल्लबगढ से हैं, कांग्रसे से ही विधायक बनी थी, बाद में पार्टी छोडी और घूमघामकर फिर कांग्रेस में लौट आई हैं।

रामनिवास घोडेला पेडे वाले विधायक के रूप में प्रसिद थे, टिकट मांगने नहीं गए फिर भी बरवाला से हुड्डा साहब ने उनको टिकट दे दी थी। 2019 में निर्दलीय लड़कर चुनाव हार गए, अब फिर से कांग्रेसी हए हैं। इसी तरह से उकलाना के नरेश सेलवाल कांग्रेस के ही विधायक रहे हैं, अब निर्दलीय होकर फिर से कांग्रेसी हुए हैं। जुलाना से इनेलो के दो बार विधायक रहे परेंद्र ढुल भी भाजपा से होते हुए कांग्रेस में आ गए हैं। सुशील इंदौरा सांसद और विधायक रहे हैं, सारी पार्टियां देखने के बाद कांग्रेसी हो चुके हैं। प्रोफेसर संपत सिंह का नाम तो आप जानते ही हैं। इनेलो से कांग्रेस, कांग्रेस से भाजपा और अब फिर से कांग्रेसी हुए हैं। नारनौंद के पूर्व विधायक रामभगत शर्मा निर्दलीय विधायक बने थे लेकिन सारी पार्टियों का अनुभव बटोर लिया है। नारनौल के पूर्व विधायक राधेश्यम शर्मा भी कांग्रेसी हो गए हैं। 2005 में निर्दलीय जीते थे।

ये कुल 16 नाम मिले हैं, जिन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की है लेकिन बाकी आप बता सकते हैं। लेकिन ये बात बिल्कुल सही है कि पूर्व विधायकों का जनाधार हो या ना हों, ये जिस पार्टी में जाते हैं उसका माहौल तो बनाते ही हैं। अब ये चसबूझ 2024 के चुनाव रूपी ब्याह को रंगीन बना पाएंगे या नहीं ये तो वक्त बताएगा, लेकिन ऑपरेशन रिवर्स लोटस को दीपेंद्र हुड्डा ने चर्चा में तो ला ही दिया है। हालांकि 2019 के बाद भाग सिंह छात्तर, अनिल धतौडी और कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए हैं और ये सिलसिला जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा जोर पकड़ता जाएगा। 

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