ओपन मार्केट में इतना पहुंचा गेहूं का रेट, खेतों में ही खरीदी जा रही फसल, सरकारी एजेंसियां रह सकती हैं खाली हाथ
गेहूं के सरकारी समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल से अभी तक 10 से 15 रुपए ज्यादा देकर किसानों से प्राइवेट खरीद की जा रही थी। मंडी में गेहूं की आवक रफ्तार नहीं पकड़ने के कारण प्राइवेट खरीद के दौरान भी भाव बढ़ने लगे हैं।;
हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी
गेहूं के मार्केट रेट कम होने का नाम नहीं ले रहे। इसका सीधा असर सरकारी खरीद पर पड़ रहा है। सरकार को खरीद शुरू होने के बाद 6 दिन से गेहूं का दाना तक नहीं मिला है। बुधवार को गेहूं के भाव में और तेजी आ गई। ओपन मार्केट में गेहूं 2070 तक बिक गया, जिससे आने वाले दिनों में भी सरकारी खरीद एजेंसियों को पर्याप्त गेहूं मिलने के आसार नहीं हैं।
गेहूं के सरकारी समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल से अभी तक 10 से 15 रुपए ज्यादा देकर किसानों से प्राइवेट खरीद की जा रही थी। मंडी में गेहूं की आवक रफ्तार नहीं पकड़ने के कारण प्राइवेट खरीद के दौरान भी भाव बढ़ने लगे हैं। मंगलवार को गेहूं ओपन मार्केट में 2041 रुपए प्रति क्विंटल तक बिका था। बुधवार को गेहूं में तेजी के कारण 2070 तक में गेहूं की बिक्री हुई। छठे दिन भी सरकारी खरीद एजेंसियों को गेहूं नहीं मिला, जिस कारण इंतजार के बाद खरीद से जुड़े कर्मचारियों को खाली हाथ लौटना पड़ा।
खेतों में ही हो रही बिक्री
गेहूं में तेजी को देखते हुए ग्रामीण इलाकों में दुकानदार और व्ययापारी दोनों एक्टिव हो गए हैं। वह खेतों में फसल निकालते समय ही किसानों से संपर्क कर, वहीं पर गेहूं की खरीद करने लगे हैं। ऐसे में अगर किसानों को खेत में ही एमएसपी का रेट भी मिल जाता है, तो वह वहीं इसकी बिक्री कर देते हैं। इससे उनका गेहूं को मंडी तक ले जाने का खर्चा बच जाता है। घरेलू यूज के लिए गेहूं खरीदने वाले लोग भी सीधे किसानों के खेत से गेहूं की खरीद करने लगे हैं। इससे सरकारी खरीद एजेंसियों का इस साल का टारगेट किसी भी सूरत में पूरा होता नजर नहीं आ रहा।