Corona virus : होम आइसोलेशन में रहने वाले काेविड मरीजों का हौसला बढ़ा रहीं महिला चिकित्सक
इन चिकित्सकों के मन में जरा सा भी गम नहीं है कि वे 7 दिनों से अपने परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर मन की बात को सांझा नहीं कर पा रही है। इन बेटियों के मन में सिर्फ ओर सिर्फ कोरोना मरीजों का इलाज करके उन्हें फिर से जीवन की डगर पर लाना है।;
तरुण वधवा. कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र की चिकित्सक बेटियां अपने परिवार से अलग रहकर कोरोना मरीजों की दिन-रात देखभाल और सेवा कर रही है। इन बेटियों के मन में जरा सा भी गम नहीं है कि वे 7 दिनों से अपने परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर मन की बात को सांझा नहीं कर पा रही है। इन बेटियों के मन में सिर्फ ओर सिर्फ कोरोना मरीजों का इलाज करके उन्हें फिर से जीवन की डगर पर लाना है। इस कार्य को करने के लिए चिकित्सक बेटियां लघु सचिवालय नगराधीश कार्यालय में बनाए गए कंट्रोल रुम में राउंड द क्लॉक ड्यूटी दे रही है।
कंट्रोल रुम के टोल फ्री नम्बर 1950 पर जैसे ही कोविड मरीज की कॉल आती है, यह चिकित्सक तुरंत कोरोना मरीज के घर की तरफ रुख कर लेती है। जिस घर में जाने से आज हर कोई डरता है, उसी घर में यह चिकित्सक कोरोना मरीज से उसके दर्द को सुनती है और फिर दर्द को कम करने के लिए दवा भी देती है। इस कंट्रोल रुम में अलग-अलग शिफ्टों में एक चिकित्सक हैड के साथ आयुर्वेदिक कालेज की चिकित्सकों को जोड़ा गया है और हर शिफ्ट में एक टीम का गठन किया गया है। इस टीम को लगातार टोल फ्री नम्बर 1950 से जुड़कर मरीजों की आने वाली लगातार कॉल को सुनना पड़ता है। इस कॉल से भी मरीज की काउंसलिंग की जाती है, अगर फिर गभी कोविड मरीज की संतुष्ठि नहीं होती तो चिकित्सक घर जाकर कोविड मरीजों का इलाज कर रही है। इन मरीजों की सेवा के लिए 24 घंटे तैयार रहने वाली इन चिकित्सक बेटियों ने पत्रकारों के साथ अपने अनुभवों और मन की बात को सांझा किया।
समय पर दवाई लेने से कोरोना से बचाव संभव : डा. हरनीत कादियान
कंट्रोल रुम में टीम हैड चिकित्सक डा. हरनीत कादियान का कहना है कि कोरोना मरीजों की दिक्कतों व परेशानियों को दूर करना उनका प्रथम कर्तव्य है। उनके पास जैसे ही किसी मरीज के गम्भीर होने की कॉल आती है तो वे तुरंत अपनी टीम के सदस्यों के साथ कोविड मरीज के घर पहुंचती है। मरीज के स्वास्थ्य की जांच करने के बाद ही आंकलन किया जाता है कि होम आईसोलेशन में ही स्वास्थ्य ठीक होगा या अस्पताल में शिफ्ट करने की जरुरत है। पिछले 7 दिनों के अनुभव से यह तथ्य सामने आए है कि जिन लोगों को गम्भीर बिमारियां है, कोरोना उनके लिए ज्यादा परेशानी बन सकता है। लेकिन समय पर दवाई लेने से कोरोना से बचाव सम्भव है जो युवा मरीज है, उनको पाजिटिव होते ही सचेत रहने की जरुरत है। इन युवा पाजिटिव केसों को घर में ही बैठे नहीं रहना चाहिए तुरंत चिकित्सक की सलाह लेकर दवाई लेनी चाहिए ताकि कोरोना का संक्रमण ज्यादा ना फैल सके।
मरीजों की काउसंलिंग करना नैतिक दायित्व : डा. पूजा
आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. पूजा भारद्वाज ने अपने अनुभवों को सांझा करते हुए कहा कि कंट्रोल रुम से संदेश मिलते ही कोविड मरीजों के घर में पहुंचती है। पिछले 7 दिनों में औसतन 5 या 6 मरीजों के घर जाकर दवाइयां, काउंसलिंग करने का काम कर रही है। कोविड मरीज के घर जाकर काउसंलिंग करना और दवाइयों के बारे में समझाना उनका नैतिक दायित्व है।
किसी पाजिटिव केस के पास जाने से नही लगता डर : डा. अनु
आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. अनु ने बताया कि मरीजों के पास जाते हुए अपने आपको सुरक्षित रखना और नियमित रुप से अपने बचाव के लिए आयुर्वेदिक दवाईयों का सेवन कर रही है। पिछले 7 दिनों से डयूटी से जाने के बाद अपने घर में एक अलग कमरे में आईसोलेट हो जाती हूं और परिजनों से अलग रहकर स्वयं व परिजनों को सुरक्षित रखने का काम कर रही है। खुद के परिजनों को भी आयुर्वेदिक दवाईयां दे रही है ताकि कोरोना के संक्रमण से बचा जा सके। इस कठिन समय में सरकार और प्रशासन ने जो डयूटी लगाई है, उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी और ना ही उन्हे किसी पाजिटिव केस के पास जाने से डर लगता है।