खेत की सूरत के साथ-साथ जमीन की सीरत भी बदल रहा कैथल जिले का यह युवा किसान, प्राकृतिक खेती से कमा रहे लाखों रुपए महीना
अच्छी पढ़ाई करने के बावजूद भी खेती के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर दिए हैं। अधिकतर किसान निरंतर पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं, लेकिन कुछ किसानों ने जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर रुख किया, उनमें टीक के युवा किसान सूरत तंवर भी शामिल हैं।;
कैथल। दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी सफलता की सीढ़ी चढ़ने से नहीं रोक सकता। करने का जज्बा और जुनून सूरत और सीरत में सार्थक बदलाव लाने का काम करता है। इसी तरह का जज्बा दिखाई दिया गांव टीक के युवा किसान सूरत तंवर ने। अच्छी पढ़ाई करने के बावजूद भी खेती के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर दिए हैं। अधिकतर किसान निरंतर पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं, लेकिन कुछ किसानों ने जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर रुख किया, उनमें टीक के युवा किसान सूरत तंवर भी शामिल हैं। बापू करनैल सिंह परम्परागत खेती था, अब बेटा सूरत तंवर प्राकृतिक खेती करके खेती की सूरत बदल रहा है।
युवा किसान सूरत तंवर के सामने कठिनाई थी कि वह सब्जियों और फलों की खेती कैसे करें, तो उन्होंने हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा दी जाने वाली योजनाओं के बारे में छानबीन करना शुरू किया। यही जिज्ञासा और ईच्छा उनकी बागवानी विभाग के पास पूरी हुई, जहां उनको योजनाओं की विस्तृत जानकारी ली और विभाग की योजना के अनुसार किसान सूरत सिंह ने अपने एक एकड़ खेत में नेट हाउस लगवाया और कर दी अलग से खेती की शुरूआत। धीरे-धीरे किसान ने खेती की गहनता से जानकारी ली और आगे बढ़ता चला गया। अब वह अपने खेत में 4 एकड़ में नेट हाउस लगाकर खेती कर रहा है। करीब 30 एकड़ की खेती में 4 एकड़ में खीरा, 9 एकड़ में खरबूजा, सरसों, 17 एकड़ में गेहूं की फसल कर रहा है। फलों और सब्जियों की खेती ड्रिप सिंचाई से कर रहा है फसलों में केंचुआ खाद भी डाला जा रहा है।
इस विषय को लेकर जब किसान के खेत में जाकर उनसे बात करने का मौका मिला तो पढ़ा-लिखा युवा किसान अपनी खेती को लेकर काफी गंभीर नजर आया। किसान ने कहा कि हमें अपने स्वास्थ्य को ठीक रखना है, तो जमीन की सूरत के साथ-साथ सीरत भी बदलनी होगी और मैं इसी दिशा में काम करते हुए आगे बढ़ रहा हूं। कई बार मौसम का मिजाज बाधा बन जाता है, लेकिन जज्बे और जुनून के साथ मैं आगे बढ़ने का प्रयास जारी रखे हुए हूं। जरूरत से ज्यादा रासायनिक खादों ने जमीन और स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिसकी भरपाई के लिए किसानों को प्राकृतिक खेती की और मुड़ना होगा। मेरा मुख्य उद्देश्य इंसानों के साथ-साथ अन्य प्राणी मात्र की स्वास्थ्य के दृष्टिगत प्राकृतिक खेती करना है और मैं इस दिशा में अपने सार्थक प्रसास जारी रखे हुए हूं।
जल संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहा है गांव टीक का किसान सूरत तंवर
किसान सूरत तंवर 2012 से जल संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। उनके मन में आया कि हम फसलों में क्यों इतना पानी बर्बाद करते हैं, क्यों न हम नई विधियों का प्रयोग करके देखें, ताकि पानी की बचत हो और फसल भी अच्छी हो जाए। स्कीमों की जानकारी लेकर धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए किसान के मन में ड्रिप सिस्टम की बात आई, तभी उन्होंने अपने 12 एकड़ खेत में ड्रिप सिस्टम लगवाया। इस विधि से खेती करके यह निकला कि इस विधि से पानी की काफी बचत होती है और भविष्य में हम अपने बच्चों के लिए पानी भी बचा सकते हैं। यानि गागर में सागर का सपना साकार करना है, तो सभी जुगाड़ लगाने होंगे।
गर्मियों में बिजली की कमी को पूरा करने, ऊर्जा संरक्षण के लिए किसान ने लगवाया खेत में सोलर प्लांट
सब्जियों व फलों की खेती में बचत हुई तो किसान सूरत तंवर को मिलने लगी आर्थिक ताकत। अब वह बदलाव और बचत के नजरिए से काम करने लगा था। गर्मियों में बिजली की कमी और ऊर्जा संरक्षण के मद्देनजर खेत में 5 किलोवॉट का सोलर प्लांट लगवाया। इसका फायदा यह हुआ कि बिजली आए या ना आए लेकिन सब्जियों व फलों की खेती में पानी की कमी नहीं रही। ड्रिप सिस्टम विधि से फसल में पानी की खपत न के बराबर है। सोलर प्लांट ने बिजली की कमी को दूर किया है। किसान सूरत तंवर का कहना है कि हमें ऊर्जा संरक्षण के बारे में भी सोचना चाहिए, ताकि पर्यावरण शुद्ध रह सके और इस प्रकार किसान बदल रहा है जमीन की सूरत, सीरत और तासीर तथा बढ़ा रहा है जमीन के ऊर्वरा ताकत।
मेहनत करांगे तो जरूर सफल होवांगे--आज किसान बन रहे हैं बेरोजगारों को रोजगार देने वाले।
किसान सूरत सिंह बोल्या कि आज के समय में लोग सुस्त होते जा रहे हैं, वह मेहनत ही नहीं करना चाहते। सुस्ती के कारण ही लोग पारंपरिक खेती को करना पसंद करते हैं, क्योंकि एक बार लगाई और 6 महीनें के लिए फारिक। लेकिन कुछ अलग से सब्जी व फल की खेती करनी है तो यह 3 महीनें के समय में सब कुछ होता है। इसमें प्रतिदिन मेहनत करनी होती है और पूरी निगरानी रखनी होती है, तभी कुछ प्राप्त होता है। हमें सुस्त नहीं, बल्कि चुस्त होकर कार्य करना चाहिए। ऐसा करने से हम अपनी बेरोजगार तो दूर करेंगे ही और अन्य जरूरतमंद लोगों को भी रोजगार प्रदान कर पाएंगे। जब से मैंने अलग से खेती करनी शुरू की है तभी से काफी लोगों को रोजगार भी मिला है।
कुछ एकड़ आते हैं बाढ़ क्षेत्र में-यदि बाढ़ क्षेत्र में नहीं होते तो पूरी खेती करता सब्जियों और फलों की
किसान सूरत सिंह का कहना है कि मेरे खेत का कुछ हिस्सा बाढ़ क्षेत्र में आता है। जब बरसात होती है तब पूरी की पूरी फसल खराब हो जाती है। उस क्षेत्र में गेहूं व धान की फसल कर रहा हूं। यदि क्षेत्र बाढ़ प्रभावित नहीं होता तो मैं जरूर पूरे खेत में सब्जियों व फलों की खेती करता। वाह क्या बात है सब्जी और फलों की खेती की, खूब मजा आ रहा है। मेहनत में से निकल रहे हैं पैसे
एक वर्ष में एक एकड़ में लगभग 10 लाख रुपये की होती है बचत
किसान सूरत सिंह ने बताया कि साल में दो बार खीरे की फसल ली जा सकती है। एक एकड़ में खेती करने में सालाना खर्च साढ़े 3 लाख रुपये का खर्च आता है। यदि बाजार में भाव अच्छा मिल जाए तो खर्चा निकालकर एक एकड़ में सालाना शुद्घ लाभ करीब 9 लाख रुपये की बचत हो सकती है। यदि फसल अच्छी लगा जाए तो, एक एकड़ में खीरे का सालाना उत्पादन करीब 900 क्विंटल तक निकल आता है। खीरे के फसल में केंचुआ खाद भी डाला जाता है।
9 एकड़ में पीली सरसों के साथ खरबूजा और तरबूज की लगाई हुई है फसल
किसान सूरत सिंह ने बताया कि उन्होंने 9 एकड़ में पीली सरसों की कटाई के बाद खरबूजा और तरबूज की भी फसल लगाई हुई है। उन्होंने कहा कि ड्रिप सिंचाई से एक एकड़ में सरसों की लगभग 12 क्विंटल तक फसल निकल सकती है, जिसका मार्केट रेट 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल मिल जाता है। इसी तरह एक एकड़ में खरबूजा और तरबूत की फसल से 1.5 से 2 लाख रुपये तक तीन महीने में आमदनी निकल आता है। खरबूजे और तरबूज की फसल पर खर्च 30 से 40 हजार रुपये आता है। यानि किसान सूरत तंवर फसलों के विविधिकरण अपनाकर लाखों रुपये कमा रहा है।