हिमाचल प्रदेश में हर साल बढ़ रही है हरियाली, फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में खुलासा

पहाड़ी प्रदेश हिमाचल (Himachal Pradesh) को भी कुदरत ने इन तीनों चीजों से नवाजा (Awarded) है। जल, जंगल और जमीन, इन तीन तत्त्वों के बिना प्रकृति अधूरी (Nature Incomplete) है। सबसे समृद्ध देश या प्रदेश उसे माना जाता है।;

Update: 2021-06-05 08:25 GMT

पहाड़ी प्रदेश हिमाचल (Himachal Pradesh) को भी कुदरत ने इन तीनों चीजों से नवाजा (Awarded) है। जल, जंगल और जमीन, इन तीन तत्त्वों के बिना प्रकृति अधूरी (Nature Incomplete) है। सबसे समृद्ध देश या प्रदेश उसे माना जाता है, जहां ये तीनों तत्त्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। हालांकि यहां भी समय-समय पर प्रकृति से खिलवाड़ होता रहा है, बावजूद इसके वन महकमे की ओर से हर साल होने वाले पौधारोपण कार्यक्रमों ने प्रदेश की हरियाली को बरकरार रखने में अहम भूमिका निभाई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑल ओवर इंडिया के वनों का सर्वे करने वाले देहरादून स्थित फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल में जंगलों का आकार हर साल बढ़ रहा है। वर्ष 2019 की जो रिपोर्ट बनकर आई है, उसमें कहा गया है कि कुल्लू और लाहुल-स्पीति जिले को छोड़कर बाकी दस जिलों में वनों का आकार बढ़ा है। इनमें सबसे बेहतरीन प्रदर्शन कांगड़ा जिले का रहा है, दूसरे नंबर पर ऊना रहा है, और तीसरे नंबर पर हमीरपुर में जंगलों का आकार बढ़ा है।

बता दें कि फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया हर दो साल बाद सेटेलाइट और ग्राउंड लेवल पर भी देश भर के जंगलों का सर्वे करता है। रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 के मुकाबले वर्ष 2019 तक 333.52 स्क्वेयर किलोमीटर जंगलों का आकार बढ़ा है। अब एफसीआई का अगला सर्वे 2021 के अंत में होगा। प्रदेश भर में लगभग 55633 स्क्वेयर किलोमीटर जियोग्राफिकली एरिया है।

इनमें 3113 स्क्वेयर किलोमीटर एरिया ऐसा है, जो पूरी तरह पेड़ों से पैक है, जिसे वेरी डेंस एरिया भी कहते हैं, जबकि 7126 स्क्वेयर किलोमीटर क्षेत्र, जिसे मोदरिल डेंस एरिया कहते हैं, वह थोड़े कम पेड़ों से गिरा है। डीएफओ फोरेस्ट एलसी वंदना ने कहा कि वन महकमा समय-समय पर लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाता है और वनों को बचाने की अपील करता है। 2019 की आई फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आंकड़े काफी पॉजिटिव रहे हैं।

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