पर्यटन नगरी मनाली में नहीं पहुंच रहे सैलानी, जानें क्या है वजह

कोरोना महामारी के चलते देवभूमि में पर्यटकों का जाना अब और कम हो गया है। सैलानियों की संख्या कम होने से होटल मालिक काफी परेशान हैं। फिलहाल कुल्लू-मनाली में एक माह बाद ही फिर से लगभग 200 होटलों को फिर से बंद करना पड़ा है।;

Update: 2020-11-22 11:39 GMT

कोरोना महामारी के चलते देवभूमि में पर्यटकों का जाना अब और कम हो गया है। सैलानियों की संख्या कम होने से होटल मालिक काफी परेशान हैं। फिलहाल कुल्लू-मनाली में एक माह बाद ही फिर से लगभग 200 होटलों को फिर से बंद करना पड़ा है। जिले में कोरोना संक्रमण के चलते सैलानी मनाली आने से कतरा रहे हैं। पर्यटकों के न जाने से इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पर्यटन नगरी मनाली में पड़ा है। मनाली में करीब 100 मध्यम और छोटे स्तर के होटलों पर ताला जड़ दिया है। वहीं, कुल्लू में पिछले आठ माह से डेढ़ हजार से अधिक होटल और होम स्टे बंद पड़े हैं। यहां के होटल मालिक कोरोना की वैक्सीन नहीं आने तक होटल नहीं खोलने का इंतजार कर रहे हैं।

हालांकि, बर्फबारी के बाद मनाली में पर्यटकों की ऑक्यूपेंसी बढ़ी है लेकिन, छोटे व मीडियम स्तर के होटलों की ऑक्यूपेंसी अभी भी शून्य के आसपास है। उधर, जिला कुल्लू के साथ ऊझी घाटी में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। यही वजह है कि मनाली के स्थानीय होटलियरों ने अपने परिवार की सुरक्षा को देखते हुए कारोबार को बंद कर ताला लगा दिया है। कसोल के साथ तीर्थन और जिभी घाटी में भी 120 होटल और होम स्टे में से 40 फीसदी पर्यटन गतिविधियों को बंद करना पड़ा है। जबकि, 20 फीसदी होटल व होम स्टे आठ माह से ही नहीं खोले गए।

वहीं तीर्थन वैली होटल एसोसिएशन के प्रधान वरुण भारती ने कहा कि पर्यटकों के न आने से तीर्थन घाटी में 30 होम स्टे को बंद किया गया है और लोगों ने इसके बदले कृषि व बागवानी पर फोकस करना शुरू कर दिया है। मनाली होटल एसोसिएशन के प्रधान अनूप राम ठाकुर ने कहा कि मनाली में एक अक्तूबर से 30 फीसदी होटलों को खोला गया था। अब इसमें से 100 के करीब होटलों को फिर से बंद करना पड़ा है। इन होटलों में पर्यटक ही नहीं आ रहे हैं। कोरोना के बढ़ते केसों से होटल संचालक अब सहमे हुए हैं। 

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