बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए बेच दी गाय, भाजपा विधायक ने फॉर्च्यूनर से पहुंच कर दिए 2 हजार रुपये

हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के तहत गुम्मर गांव के एक गरीब किसान ने आह को वाह में बदलकर दिखा दिया है। कोविड-19 के चलते बच्चों को ऑननलाइन पढ़ाना था तो इन्होंने अपनी गाय को ही बेच दिया।;

Update: 2020-07-22 04:26 GMT

हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के तहत गुम्मर गांव के एक गरीब किसान ने आह को वाह में बदलकर दिखा दिया है। कोविड-19 के चलते बच्चों को ऑननलाइन पढ़ाना था तो इन्होंने अपनी गाय को ही बेच दिया। गाय को बेचकर एक मोबाइल खरीद लिया, ताकि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर सके। कुलदीप की इस कहानी पर अगर गौर फरमाया जाए तो बहुत सारी हकीकत सामने आने लगेंगी। जब कुलदीप की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो ज्वालामुखी विधायक एवं योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने कुलदीप के घर पहुंचकर दो हजार की नकद मदद कर दी। अब उसी पर समाजसेवी संजय शर्मा ने सवालिया निशान लगाया है। उनका कहना है कि फॉर्च्यूनर गाड़ी में सवार होकर कुलदीप के घर आने वाले धवाला ने दो हजार देकर गरीबी के साथ में भद्दा मजाक किया है।

कुलदीप की आजीविका उसकी पत्नी के साथ पशुओं के सहारे ही चलती आ रही थी। अचानक कोरोना का कहर टूटा तो बच्चे स्कूल से घर पर बैठ गए। सरकार ने कहा कि अब ऑनलाइन स्टडी होगी। कुलदीप उर्फ दीपू का दूसरी कक्षा में पढ़ने वाला बेटा वंश और चौथी में पढ़ने वाली बेटी अनु लाचार हो गए। गरीबी की धार से घायल कुलदीप के पास स्मार्ट फोन तक नहीं था। कुलदीप ने हथियार डालने की जगह हिम्मत से काम लिया। मात्र छह हजार में अपनी एक गाय बेच कर छह हजार का ही मोबाइल खरीद लिया। कुलदीप एक छोटी सी गौशाला के बरामदे में खुद सोता है और पशुओं को एक कमरे में बरसात से बचा कर रखता है। कुलदीप को ना आईआरडीपी ना ही बीपीएल में जगह मिल पाई है। कुलदीप की आंखों में गाय को बेचने का दर्द भी उतना ही दिखता है, जितना बच्चों के भविष्य के प्रति चिंता।

समाजसेवी संजय शर्मा बड़का भाऊ ने रमेश ध्वाला पर सवालिया निशान लगाया है। उनका कहना है कि फॉर्च्यूनर गाड़ी में सवार होकर कुलदीप के घर आने वाले धवाला ने दो हजार देकर गरीबी के साथ में भद्दा मजाक किया है। उन्होंने आज दिन तक इस गरीब परिवार की सुध क्यों नहीं ली। संजय शर्मा ने कहा है कि अगर 30 दिन के अंदर-अंदर इस गरीब परिवार को आशियाना नहीं मिला तो बड़का भाऊ टीम आंदोलन करने पर मजबूर होगी।


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