दीवाली पर पटाखे जलाने से छाई धुएं की परत, सांस लेना हुआ मुश्किल
दीवाली की अगली सुबह रविवार को जब बैजनाथ पपरोला के लोग जागे तो पूरे क्षेत्र में धुएं की एक परत छाई हुई थी। पहले लगा कि कहीं कूड़े के ढेर में आग लगी हुई है। लेकिन यह धुआं कहीं कूड़े के ढेर का नहीं बल्कि पटाखों के बाद बनी धुएं की परत का था।;
दीवाली की अगली सुबह रविवार को जब बैजनाथ पपरोला के लोग जागे तो पूरे क्षेत्र में धुएं की एक परत छाई हुई थी। पहले लगा कि कहीं कूड़े के ढेर में आग लगी हुई है। लेकिन यह धुआं कहीं कूड़े के ढेर का नहीं बल्कि पटाखों के बाद बनी धुएं की परत का था। बैजनाथ के शौबी राठौर ने बताया जब वह सुबह घूमने निकले तो पटाखों के धुएं की परत साफ महसूस की जा रही थी। हालांकि इस बार दिवाली पर कम पटाखे चलाने की बात थी। लेकिन इस क्षेत्र में पहले की तरह ही पटाखे चलाए गए।
इस कारण शाम से ही यहां धुएं की परत बनना शुरू हो गई। बैजनाथ के राजकुमार सूद बताते हैं कि सुबह पांच बजे जब वह उठे और घूमने निकले तो सांस लेते समय पटाखों का धुआं ही आ रहा था। ऐसे में यदि हिमाचल के इस जंगल से भरे स्थान का ही यह हाल है तो खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि जंगल कम होने वाले जगहों में क्या होता होगा। वहीं चिकित्सकों का कहना है कि निस्संदेह इस धुएं का काफी नकारात्मक असर पड़ता है।
विशेषकर बुजुर्ग और बच्चों को इससे बचना चाहिए इस धुए का मुख्य कारण अधिक से अधिक पटाखे फोड़ना है। ऐसे में लोगों को भी चाहिए कि कम पटाखे ही चलाएं। वहीं धौलाधार पर्वत श्रृंखला की तलहटी में चंद्रधार स्थित आदि हिमानी चामुंड़ा मंदिर परिसर में पुजारी पंडित मंदो राम ने मां सौलह श्रृंगार कर व विधिवत पूजा अर्चना कर दीपावली मनाई। रात्रि भोग के बाद मंदिर में दीप जलाए गए।