हिमाचल में उपभोक्ताओं को बिजली विभाग का करंट, 17 साल पहले लगे मीटरों का मांगा चार्ज
हिमाचल प्रदेश में बिजली विभाग की लापरवाही का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। मामला सूबे के सिरमौर जिले से है। यहां 17 साल बाद अब विभाग ने अतिरिक्त सिक्योरिटी शुल्क के लिए सात हजार उपभोक्ताओं को नोटिस भेजे हैं।;
हिमाचल प्रदेश में बिजली विभाग की लापरवाही का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। मामला सूबे के सिरमौर जिले से है। यहां 17 साल बाद अब विभाग ने अतिरिक्त सिक्योरिटी शुल्क के लिए सात हजार उपभोक्ताओं को नोटिस भेजे हैं। विद्युत विभाग द्वारा जारी किए गए इन नोटिस को लेकर उपभोक्ताओं में काफी रोष है। उपभोक्ताओं का कहना है कि विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिस किसी भी सूरत में सही नहीं है। लोगों का कहना है कि विभाग ने ऐसे उपभोक्ताओं को भी नोटिस दिए हैं, जिनकी खपत पहले जितनी ही है। ऐसे में इन उपभोक्ताओं से अतिरिक्त शुल्क भी नहीं लिया जाना चाहिए।
दरअसल, कोरोना काल में जहां लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, वहीं बिजली विभाग ने शहर के 7000 उपभोक्ताओं को बढ़े हुए सिक्योरिटी शुल्क को वसूलने के लिए नोटिस जारी किए हैं। ऐसे में फैसले पर सवाल उठना तो लाजिमी है। विद्युत उपमंडल के नाहन के तहत आने वाले करीब साढ़े 13 हजार उपभोक्ताओं में से सात हजार उपभोक्ताओं को स्वीकृत लोड की बढ़ी हुई दरों के हिसाब से लाखों रुपए की रिकवरी के डिमांड नोटिस थमाए है। उपमंडल कार्यालय में हुए इन्टरनल ऑडिट के आधार पर 2003 से पहले जिन उपभोक्ताओं ने कनेक्शन लगवाए थे, उनको वसूली नोटिस जारी किए गए हैं।
विद्युत बोर्ड के एसडीओ केपी सिंह का कहना है कि 2003 से पहले उपभोक्ताओं ने जब कनेक्शन लगवाए थे, उस वक्त स्वीकृत होने वाले लोड की दर प्रति किलो वाट 50 रुपए थी। अब यह दर बढ़कर 170 रुपए हो गई है। बोर्ड के इन्टरनल ऑडिट में सामने आए मामले के बाद उपभोक्ताओं से लोड की बढ़ी हुई दरों के हिसाब से बकाया वसूल जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह सिक्योरिटी राशि रिफंडेबल है।