हिमाचल शिक्षा बोर्ड का कारनामा, 10वीं के प्रमाण पत्र में छात्रा को बना दिया छात्र

कोरोना काल के दौरान देश में सबसे पहले बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम घोषित करने का दावा करने वाले स्कूल शिक्षा बोर्ड ने विद्यार्थियों के प्रमाण पत्रों में गलतियों अंबार लगा दिया है।;

Update: 2020-10-04 10:18 GMT

कोरोना काल के दौरान देश में सबसे पहले बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम घोषित करने का दावा करने वाले स्कूल शिक्षा बोर्ड ने विद्यार्थियों के प्रमाण पत्रों में गलतियों अंबार लगा दिया है। छात्रा को जहां छात्र बना दिया है। वहीं उनके माता-पिता का नाम भी गलत दर्ज कर दिया है। ये गलतियां सिर्फ एक विद्यार्थी के प्रमाणपत्र में नहीं हुई हैं, बल्कि कई विद्यार्थियों के साथ ऐसा हुआ है। यह खुलासा हमीरपुर के एक निजी स्कूल में दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को मिले प्रमाण पत्रों से हुआ। अब बच्चों की जमा एक कक्षा में दाखिला हो गया है।

स्कूल प्रबंधन की ओर से उनके प्रमाणपत्र मांगे जा रहे हैं तो बच्चों को गलत जानकारी वाले प्रमाण पत्र ही स्कूल में देने पड़ रहे हैं। दसवीं का प्रमाण पत्र सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसी प्रमाण पत्र में बच्चे की जन्मतिथि दर्ज होती है। दसवीं के प्रमाणपत्र के आधार पर ही वोटर कार्ड बनाया जाता है।

स्कूल शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार सोनी ने बताया कि बच्चों की जानकारी स्कूल प्रशासन ही दर्ज कर भेजता है। उसी आधार पर प्रमाण पत्र तैयार किए जाते हैं। गलतियां सुधारने को बोर्ड की ओर से सर्टिफिकेट जारी करने तक चार मौके दिए जाते हैं। जिन बच्चों के प्रमाण पत्रों में गलतियां हैं। वे स्कूल के माध्यम से अपने सर्टिफिकेट बोर्ड में भेज दें, नि:शुल्क गलती सुधार दी जाएगी। 


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