काेरोना की बजह से इस बार हिमाचल का समर सीजन पूरी तरह रहा ठप्प

हिमाचल के इतिहास में इस साल कोरोना के चलते पहली बार समर सीजन पूरी तरह सुनसान रहा है। छह महीने तक प्रदेश में होटल, होम स्टे सहित अन्य पर्यटन गतिविधियां बंद होने से प्रदेश की आर्थिकी को करोड़ों का नुकसान हुआ है।;

Update: 2020-09-27 09:00 GMT

हिमाचल के इतिहास में इस साल कोरोना के चलते पहली बार समर सीजन पूरी तरह सुनसान रहा है। छह महीने तक प्रदेश में होटल, होम स्टे सहित अन्य पर्यटन गतिविधियां बंद होने से प्रदेश की आर्थिकी को करोड़ों का नुकसान हुआ है। अनलॉक फोर में मिली छूट से सैलानियों के आने की उम्मीद बंधी है। पर्यटन कारोबारियों की नजरें विंटर सीजन पर टिकी हैं। प्रदेश में करीब छह हजार होटल, होम स्टे और रेस्टोरेंट करीब पांच माह तक बंद रहे।

साल 2019 में मार्च से मई तक करीब 50 लाख देसी-विदेशी सैलानी हिमाचल आए। 2019 में सैलानियों की संख्या 1.72 करोड़ रही। यह संख्या 2018 के मुकाबले 4.63 फीसदी अधिक रही। बीते साल सरकार ने प्रदेश में पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने को कई योजनाएं शुरू कीं। पर्यटन नीति भी नई बनाई है। इनका असर इस साल दिखना था, लेकिन कोरोना के चलते सभी योजनाएं धरी रह गई हैं। हिमाचल में अधिकारिक तौर पर 15 अप्रैल से समर सीजन शुरू होता है।

बीस मार्च के बाद सैलानियों की आमद शुरू हो जाती है। अप्रैल और मई में समर सीजन चरम पर रहता है। शिमला, मनाली, डलहौजी, खज्जियार, धर्मशाला, कसौली सहित अन्य पर्यटन स्थल मार्च से मई तक सैलानियों से गुलजार रहते हैं। बीते दिनों कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट के साथ प्रदेश में आने वाले सैलानियों की संख्या कम रही। अब प्रदेश के बॉर्डर पूरी तरह खुलने से सैलानियों की आमद बढ़ी है। कोरोना से कुल्लू-मनाली के पर्यटन को 4000 करोड़, कांगड़ा जिले के होटलों को 5 हजार करोड़ और शिमला-चंबा के होटलों को भी तीन से पांच हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।


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