15 किलोमीटर तक बर्फ के रास्ते एक मरीज को स्ट्रेचर पर उठाकर सड़क तक लाया गया, जानें आगे किया हुआ

हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में अटल टनल बनने के बाद भले ही सुविधाएं बढ़ गई हों। लेकिन यह सब तब तक ही है, जब तक हिमपात न हो। जिला में कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बर्फबारी होने के बाद मरीज को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है।;

Update: 2020-12-18 10:47 GMT

हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में अटल टनल बनने के बाद भले ही सुविधाएं बढ़ गई हों लेकिन यह सब तब तक ही है, जब तक हिमपात न हो। जिले में कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बर्फबारी होने के बाद मरीज को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। यहां लोगों को कई किलोमीटर लंबा रास्ता बर्फ के बीच तय करना पड़ता है। इसके बाद ही वे मुख्य सड़क तक पहुंच सकते हैं। ऐसा ही एक वाक्या गुरुवार को उस समय देखने को मिला, जब कुछ लोग करीब 15 किलोमीटर तक बर्फ के रास्ते से एक मरीज को स्ट्रेचर पर उठाकर सड़क तक लाए। जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया।

जानकारी के अनुसार 21वीं सदी में भी जिला के नैन गाहर के लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। बर्फबारी के दौरान गांव में कोई बीमार हो जाए, तो उन्हें स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक वाकया गुरुवार को भी पेश आया। इस दौरान बर्फबारी के बीच एक परिवार अपने बीमार सदस्य को उठाकर अस्पताल लाया। बता दें कि पिछले दिनों हुई बर्फबारी के चलते यहां यातायात ठप है।

ऐसे बीमार व्यक्ति को चौखंग, छोगजिंग, गवाड़ी तथा नैन गाहर होते हुए लोगों ने मुख्य मार्ग तक पहुंचाया। बीमार मरीज टशी तंडुप को बर्फ के रास्ते 15 किलोमीटर तक स्ट्रेचर पर उठा कर लाया गया। इसके बाद उसे वाहन के माध्यम से कुल्लू के लिए भेजा गया। ऐसे में साफ है कि जनजातीय इलाके के लोगों को सर्दियों में कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। नैन गाहर के ग्रामीणों की मानें तो हमेशा से उनकी अनदेखी होती रही है। लोगों के मुताबिक नैन गाहर स्वास्थ्य उपकेंद्र में लंबे समय से सुविधाओं का अभाव है। बर्फबारी के चलते सड़कें बंद हो जाती हैं। ऐसे में ग्रामीण मरीजों को बर्फ के रास्ते स्ट्रेचर पर उठा कर सड़क तक पहुंचाते हैं।

अटल टनल के माध्यम से मरीज को पहुंचाया कुल्लू

भले ही आज भी लोगों को बर्फबारी के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़मा हो, लेकिन सच्चाई यह है कि वर्तमान में अटल टनल लोगों के लिए किसा वरदान से कम नहीं है। अधिक बीमार होने पर जहां पर पहले ग्रामीणों को हवाई सेवा का इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब टनल की सुविधा मिलने से वाहन के माध्यम से मरीजों को समय पर कुल्लू उपचार के लिए लाया जा रहा है। गुरुवार को भी नैनगाहर से बीमार मरीज को टनल के माध्यम से कुल्लू पहुंचाया गया।

बर्फबारी से लोगों को दिक्कत

सुरंग बनने से लाहुल के पूरा साल शेष विश्व से जुड़ने की बात कही जा रही है, लेकिन सुरंग का लाभ बारह महीनों नहीं मिन सकता। विशेषकर दिसंबर से मार्च तक लाहुल में दिक्कतों का पहाड़ खड़ा रहेगा। सर्दियों में जिला के तिंदी, मयाड़ नाला, नैन गाहर तथा छीका रारिक जैसे दुर्गम जगहों में तो समस्या और भी अधिक रहती है। ऐसे में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। बर्फबारी के कारण लोगों का सुरंग तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है।

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