कर्मचारियों की मांगे नहीं मानी तो 18 अक्तूबर को बंद रहेंगी एचआरटीसी की बसें, जानें क्या हैं इनकी मांग

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में एचआरटीसी कर्मचारियों ने जन जागरण अभियान चला रखा है। एचआरटीसी कर्मचारियों (HRTC Employees) ने प्रदेश में स्तरीय परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति द्वारा कर्मचारियों की मांगे पूरी न होने के कारण 18 अक्तूबर को काम छोड़ो आंदोलन (protest) का फैसला लिया है।;

Update: 2021-10-12 13:17 GMT

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में एचआरटीसी कर्मचारियों ने जन जागरण अभियान चला रखा है। एचआरटीसी कर्मचारियों (HRTC Employees) ने प्रदेश में स्तरीय परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति द्वारा कर्मचारियों की मांगे पूरी न होने के कारण 18 अक्तूबर को काम छोड़ो आंदोलन (protest) का फैसला लिया है। राज्य सरकार व एचआरटीसी प्रबंधन इस हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति ने कहा है कि अल्टीमेटम को हल्के में न लें।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने यहां तक कहा है कि अगर यात्रियों को कुछ परेशानी हुई तो इसकी जिम्मेवारी सरकार व एचआरटीसी प्रबंधन की होगी। यहां पर हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के उपाध्यक्ष मान सिंह ठाकुर सहित अन्य प्रमुख पदाधिकारियों ने गेट मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा कि परिवहन निगम के कर्मचारियों की मांगों को पूरा करवाने के लिए पूरे प्रदेश में जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है।

ये हैं एचआरटीसी चालक यूनियन प्रबंधन की मांग

आपको बता दें कि एचआरटीसी चालक यूनियन के प्रघान रंजीत ठाकुर मुख्य सलाहकार राजेंद्र ठाकुर सहित अन्य पदाधिकारियों ने कहा क निगम प्रबंधन द्वारा संयुक्त समन्वय समिति के साथ पूर्व में किए गए समझौतों पर अमल न करनाए जनवरी 2016 से 13 प्रतिशत आईआरए डीए जनवरी 2019 से 4 प्रतिशत, 5 प्रतिशत जुलाई 2019 से और 6 प्रतिशत जुलाई 2021 से कुल डीए 15 प्रतिशत, 34 महीनों का नाइट ओवर टाइम, पेंशनए ग्रेच्युटी, कम्यूटेशन, लीव इंकैशमेंट, जीपीएफ, मेडिकल रिमवर्समेंट सहित कई प्रकार के एरियर कर्मचारियों के लगभग 580 करोड़ रुपये के लम्बित वित्तीय भुगतान देय हैं, जिससे कर्मचारी अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है।

पिछली बैठक में मांगे पूरी होने का दिया था आश्वासन

कर्मचारियों के वित्तीय बकाया राशी का भुगतान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि एचआरटीसी प्रबंधन ने गत माह हुई बैठक में मांगों को पूरा करने का आश्वासन नहीं दिया था, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने सरकार से पीस मील कर्मचारियों के लिए शीघ्र नीति बनाकर उन्हें नियमित अथवा अनुबंध पर लाने की मांग की है।

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