AIIMS Bhopal : ज्वाइंट के साइनोवियल फ्लूड पर देश में पहली बार हुई रिसर्च
अब घुटने के जोड़ में मौजूद तरल पदार्थ या लुब्रीकेंट (साइनोवियल फ्लूड) से किसी व्यक्ति के मौत के समय की सटीक जानकारी मिल सकेगी। एम्स भोपाल के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में करीब दो साल तक किए गए शोध के बाद अब सटीक आंकड़े प्राप्त हुए हैं।;
भोपाल।अब घुटने के जोड़ में मौजूद तरल पदार्थ या लुब्रीकेंट (साइनोवियल फ्लूड) से किसी व्यक्ति के मौत के समय की सटीक जानकारी मिल सकेगी। एम्स भोपाल के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में करीब दो साल तक किए गए शोध के बाद अब सटीक आंकड़े प्राप्त हुए हैं। देश में यह पहला मौका है जब किसी व्यक्ति के मौत का सही समय जानने साइनोवियल फ्लूड पर शोध किया गया हो। शोध अमेरिका के प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ फॉरेंसिक मेडिसिन एंड पैथोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। दरअसल यह फ्लूड घुटने को जोड़ में पाया जाने वाला तरल पदार्थ होता है जो प्रोटीन, सोडियम, पोटिशयम, लैक्टिक एसिड से मिलकर बना होता है। इस फ्लूड का मुख्य काम घुटने जोड़ के बीच घर्षण कम करना होता है। उम्र बढ़ने के साथ साथ यह कम होने लगता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे हड्डियों का ग्रीस या लुब्रीकेंट भी कहते हैं।
60 शवों पर किया शोध
शोध के लिए करीब 60 शवों पर यह शोध किया गया। इसमें ज्ञात और अज्ञात दोनों तरह के शवों को शमिल किया गया। मुख्यशोधकर्ता डॉ. राघवेन्द्र बिदुआ ने बताया कि मृत्यु के बाद साइनोवियल फ्लूड का लेवल निश्चित मात्रा में कम होने लगता है। ऐसे में अलग अलग समय में फ्लूड के लेवल की जांच कर उसकी गणना की गई। करीब दो साल चले शोध के बाद अब शव के साइनोवियल फ्लूड का आंकलन कर मृत्यु के सही समय की जानकारी ले सकते हैं।
टीम में ये शामिल
फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. राघवेन्द्र सिंह बिदुआ के साथ बायोकेमेस्ट्री के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार, फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अतुल केचे और डॉ. पूजा राघवन के साथ विभाग के जूनियर रेजिडेंट शामिल थे।