किसानों के फसल बीमा के लाखों रुपयों पर बैंक अधिकारी ने डाला डांका - इंश्योरेंस कंपनी के बजाय बैंक मित्र ने अपने रिश्तेदारों के खातों में जमा कराया फंड

किसानों के फसल बीमा राशि के गबन का मामला सामने आया है। किसानों को ठगने का काम बैंक के ही अधिकारियों ने किया है। किसानों को चूना लगाने में दो महिला बैंक अधिकारी भी शामिल रही। बैंक के अधिकारियों ने फसल बीमा का लाखों रुपए इंश्योरेंस कंपनी के बजाय बैंक मित्र के अपने रिश्तेदारों के खाते में जमा कर दी। किसान समझते रहे कि उन्होंने बैंक के जरिए इंश्योरेंस कंपनी को पैसा दिया है।;

Update: 2022-11-05 14:44 GMT

भोपाल - किसानों के फसल बीमा राशि के गबन का मामला सामने आया है। किसानों को ठगने का काम बैंक के ही अधिकारियों ने किया है। किसानों को चूना लगाने में दो महिला बैंक अधिकारी भी शामिल रही। बैंक के अधिकारियों ने फसल बीमा का लाखों रुपए इंश्योरेंस कंपनी के बजाय बैंक मित्र के अपने रिश्तेदारों के खाते में जमा कर दी। किसान समझते रहे कि उन्होंने बैंक के जरिए इंश्योरेंस कंपनी को पैसा दिया है। धोखाधड़ी के मामले में ईओडब्ल्यू ने 4 लोगों पर एफआईआर दर्ज की है। बैंक से धोखधाड़ी से जुड़े हुए दस्तावेजों को जब्त भी कर दिया है।

ईओडब्ल्यू ने अधिकारियों ने बताया कि साल 2014 में सेंट्रल बैंक आफ इंडिया होशंगाबाद के डोलरिया शाखा में बैंक मित्र राकेश गौर ने किसानों के खाते से डीडी बनाई थी। जिसे एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के नाम पर तैयार किया गया था लेकिन कंपनी के नाम की डीडी को कैंसिल कर दिया। किसानों के खाते में पैसा वापस डालने के बजाय रिश्तेदारों के खातों में जमा कर दिया। इसी तरह साल 2015 में भी किसानों के खातों से बीमा के लिए पैसा निकाला गया लेकिन कंपनी की जगह बैंक मित्र ने रिश्तेदारों के खातों में भी जमा किया। किसानों को करीब 13 लाख रुपए का चूना लगाया। इस मामले की जानकारी किसानों को जब लगी। उन्होंने फसल नुकसान का पैसा कंपनी में क्लेम किया। इस दौरान जानकारी मिली कि किसानों के खातों से बनी डीडी कंपनी तक नहीं पहुंची है। दो साल तक बैंक मित्र ने किसानों को अंधेरे में रखा। जिसके बाद ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज की गई है। साल 2018 में जांच करते हुए एजेंसी ने 4 लोगों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।

कृषि वित्त अधिकारी ने बनाया प्लान, ट्रेनिंग में जाने से पहले बाउचर बनाया

- इस मामले में बैंक के अधिकारियों से ईओडब्ल्यू ने पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि कृषि वित्त अधिकारी ने प्लान बनाया था। उन्होंने ट्रेनिंग में जाने से पहले बाउचर दिया था। जिसके आधार पर बैंक अधिकारियों ने खातों में फंड ट्रांसफर किया। इसके बाद बैंक में ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने बाउचर की खोजबीन की तो गायब मिले। जिसके बाद सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

ठगी में यह थे शामिल

- ईओडब्ल्यू ने भोपाल की रहने वाले तत्कालीन शाखा प्रबंधक प्रीति वरूरकर, तत्कालीन सहायक शाखा प्रबंधक सोनल अग्रवाल, तत्कालीन एएफओ प्रवीण आनंद भैंगरा और राकेश गौर बैंकिंग मित्र के खिलाफ धारा 420, 120 बी सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कार्रवाई भी होगी। हालांकि ईओडब्ल्यू ने इस मामले में विवेचना भी शुरू कर दी है।

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