Bhopal News : कर दाताओं को दी गई सहूलियतों से एसजीएसटी 26% की बढ़ोतरी
मप्र में पारदर्शी टैक्स प्रशासन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करदाताओं और व्यावसायियों को दी गई सुविधाओं के चलते जीएसटी, आबकारी, पंजीयन और वाणिज्यिक कर राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। मप्र जीएसटी रिटर्न फाईलिंग में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है।;
भोपाल। मप्र में पारदर्शी टैक्स प्रशासन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करदाताओं और व्यावसायियों को दी गई सुविधाओं के चलते जीएसटी, आबकारी, पंजीयन और वाणिज्यिक कर राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। मप्र जीएसटी रिटर्न फाईलिंग में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। पिछले साल जुलाई तक जीएसटी राजस्व प्राप्ति 8,311 करोड़ रुपए थी जो इस साल 10,945 करोड़ हो गई है, जो 26 प्रतिशत ज्यादा है। जबकि लक्ष्य जुलाई तक 10,339 करोड़ के राजस्व का है।
10.28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई
इसी प्रकार पिछले साल आबकारी राजस्व प्राप्ति जुलाई तक 4,643 करोड़ थी, जो इस साल बढ़कर रूपये 4,655 करोड़ हो गई है। वाणिज्यिक कर विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मप्र में पंजीयन राजस्व में पिछले साल के मुकाबले 15.75% की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल यह 2732 करोड़ था, जो कि इसी अवधि में 3162 करोड़ हो गया है। लक्ष्य 3085 करोड़ प्राप्ति का है। वाणिज्यिक कर राजस्व पिछले साल जुलाई तक 21,571 करोड़ था, जो इस साल 23,789 करोड़ हो गया है यानी 10.28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
पारदर्शी कर प्रशासन के लिए निरंतर प्रयास
साफ एवं पारदर्शी कर प्रशासन के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रवर्तन, ऑडिट, पंजीयन, सत्यापन संबंधी नोटिस जीएसटी पोर्टल से आनलाइन जारी किए जा रहे हैं। जीएसटी संबंधी विभिन्न प्रावधान नवीन पंजीयन, स्क्रूटनी, ऑडिट, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार किए गए हैं। प्रदेश के करदाताओं को जीएसटी संबंधी प्रावधानों की जानकारी एवं समस्या का समाधान व्हाट्सअप आधारित चैट बोट, वेलकम किट एवं हेल्पडेस्क आधारित सुविधा के माध्यम से किया जा रहा है। जीएसटी काउंसिल के निर्णय तथा नवीन अधिसूचनाओं की जानकारी उन्हें दी जाती है। साथ ही समय-समय पर औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों, कर सलाहकार संघों एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के साथ चर्चा की जाती है।
जीएसटी सहित अन्य मदों के राजस्व वसूली में आई काफी तेजी
वित्तीय वर्ष 2023-24 के माह जुलाई तक कुल 551 प्रकरणों में प्रवर्तन की कार्रवाई की जाकर 133 करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं। ऑडिट के लिए आवंटित 863 प्रकरणों की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। अभी तक 10.20 करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं। इस प्रकार प्रवर्तन की कार्रवाई से 37.20 करोड़ रुपए जमा कराए गए। पिछले साल बकाया राशि 4895.16 करोड़ रुपए थी। इसमें से कुल संस्थापन 1871.46 करोड़ रुपए हुआ। इसी अवधि में रू 1011.12 करोड़ की राशि वसूल की गई, जिसमें से नकद वसूली रू 261.53 करोड़ एवं अन्य वसूली 749.59 करोड़ की हुई।इस साल मार्च तक शेष बकाया राशि रू 5755.49 है जिसकी वसूली की कार्रवाई चल रही है।
ईडब्यूएस के लिए स्टाम्प शुल्क से छूट
भू-संपदा नियामक प्राधिकरण में पंजीकृत परियोजनाओं में निजी विकासकर्ताओं दूवारा ईडब्यूएस के पक्ष में निष्पादित विक्रय पत्रों पर स्टाम्प शुल्क से छूट दी गई है। साथ ही भू-सम्पदा आधारित आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने इसी तिथि से प्रभावी अन्य अधिसूचना द्वारा कॉलोनी के विकास के एवज में भूखण्ड बंधक रखे जाने पर देय स्टाम्प शुल्क 0.5 से घटा कर 0.125 प्रतिशत किया गया है।
बिज़नेस में पंजीयन का अनुमोदन आसान
मप्र वृत्तिकर 995 तथा मप्र वेट अधिनियम, 2002 के तहत पंजीयन प्रमाण-पत्र प्राप्त करने, प्रस्तुत आवेदन का निराकरण एक दिन में नहीं होने पर ऑटो अप्रूवल के आधार पर पंजीयन प्रमाण-पत्र जारी करने का प्रावधान किया गया है। वैट अधिनियम में 10 करोड़ रुपए से अधिक टर्नओवर वाले व्यावसायियों को फॉर्म 4-ए में ऑडिट रिपोर्ट जमा करने का प्रावधान समाप्त कर आयकर अधिनियम के तहत प्रस्तुत की जाने वाली ऑडिट रिपोर्ट को ही मान्यता दी गई है। इससे उन्हें राहत मिली है।
आपराधिक अभियोग का प्रावधान विलोपित किया
मप्र वैट अधिनियम, 2002, मोटर स्पिरिट सेस एक्ट, 2018 एवं हाई स्पीड डीज़ल सेस एक्ट, 2018 के तहत आपराधिक अभियोग का प्रावधान विलोपित कर दिया गया है। मप्र वैट अधिनियम, 2002 के अंतर्गत पेट्रोल एवं डीज़ल व्यावसायियों को त्रैमासिक विवरणी के स्थान पर सालाना विवरणी जमा करने का प्रावधान लागू किया गया है।