Bhopal Stray Animal : राजधानी की सड़कों पर अब भी आवारा पशुओं की भीड़

राजधानी की सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए भोपाल कलेक्टर ने तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन इस निर्देश के बाद तीन दिन में नगर निगम के अमले ने सिर्फ शनिवार को 45 पशुओं को पकड़कर कांजी हाउस पहुंचाया था, जबकि निगम के पास न तो कांजी हाउस में जगह है और न ही अमला। पूरे शहर में सड़कों पर झुंड बनाकर बैठे जानवरों को पकड़ने के लिए सिर्फ दो गाड़ी और 35 कर्मियों का अमला है।;

Update: 2023-08-14 03:02 GMT

भोपाल। राजधानी की सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए भोपाल कलेक्टर ने तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन इस निर्देश के बाद तीन दिन में नगर निगम के अमले ने सिर्फ शनिवार को 45 पशुओं को पकड़कर कांजी हाउस पहुंचाया था, जबकि निगम के पास न तो कांजी हाउस में जगह है और न ही अमला। पूरे शहर में सड़कों पर झुंड बनाकर बैठे जानवरों को पकड़ने के लिए सिर्फ दो गाड़ी और 35 कर्मियों का अमला है। इस संबंध में रविवार को जब भोपाल की सड़कों की जानकारी ली गई तो रोजाना की अपेक्षा ज्यादा ही आवारा पशुओं बैठे हुए दिखे।

आवारा पशुओं की संख्या कम नहीं हो पा रही 

कलेक्टर आशीष सिंह ने निर्देश तब दिए जब बैठक में महापौर मालती राय और राजधानी की गौ शालाओं के संचालक भी मौजूद थे। संचालकों ने यह भी कहा था कि वो स्वस्थ पशुओं को ही लेंगे, क्योंकि जो भी आवारा पशु भेजे जा रहे हैं, वो अंतिम सांसें गिन रहे होते हैं। डेयरी के जानवरों को यहां तक लाया ही नहीं जाता है। इस कारण सड़कों से आवारा पशुओं की संख्या कम नहीं हो पा रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों से सटी शहर की सड़कों पर आवारा पशु ज्यादा

राजधानी के करोंद व बैरसिया रोड, भानपुर, अयोध्या बायपास, कटारा हिल्स क्षेत्र की सड़कों पर सबसे ज्यादा गायों के झुंड हैंैं। वहीं कोलार, कोटरा सुल्तानाबाद भेल, इंद्रपुरी व सोनागिरी की सड़कों पर इनका डेरा है।

नगर निगम के सामने आवारा पशु चुनौती

नगर निगम के सामने आवारा पशु इतनी बड़ी चुनौती बन गए हैं कि चाहकर भी इन्हें शहर से बाहर नहीं कर पा रहे हैं। सबसे बड़ा कारण यही है कि कांजी हाउस में जगह नहीं है और गौशालाएं इन्हें ले नहीं रहीं। गौ संबर्धन शाखा के अनुसार किसी तरह व्यवस्था भी की जाए तो केवल दो वाहन और 35 कर्मचारियों का अमला है।

डेयरी के पालतू पशुओं की संख्या भी ज्यादा

शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं की संख्या कम नहीं होने का मुख्य कारण शहर के अंदर संचालित हो रहीं डेयरी भी हैं। दूध निकालने के बाद इन पशुओं को डेयरी के आसपास ही सड़कों पर छोड़ देते हैं। निगम अमला भी जहां-्तहां कार्रवाई कर अपनी औपचारिकता पूरी कर लेता है।

शिफ्टिंग जारी है

गौवर्धन परियोजना अधिकारी , राजीव सक्सेना ने कहा कि नगर निगम की टीम आवारा पशुओं को पकड़ रही है। डेरियों के कारण शहर में आवारा पशुओं की संख्या ज्यादा है। इन्हें शिफ्ट किया जा रहा है।

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