गौशाला में मृत गायों की जांच में हुआ बड़ा खुलासा, बिना टैगिंग मिली गायें, गड्ढे में मरी बीस गायों में भी नहीं मिला सरकारी टैग
बैरसिया में बसई की गौसेवा भारतीय गौशाला में गायों के अनुदान को लेकर लंबे समय से खेल चल रहा था, दरअसल यहां मृत मिली गायों में सरकारी टैग नहीं मिला है, जिससे पता चल सके कि यह गाय गौशाला की है या किसी बाहरी व्यक्ति ने यहां पर गाय का शव फेंका है। इसको लेकर जब पशुपालन विभाग की टीम पहुंची तो यहां मृत और जीवित गायों के सरकारी टैग नहीं मिलने की जानकारी मिली। गड्ढे में भरी गईं 20 गायों के कान पर भी कोई निशानी नहीं थी। अगर होती तो गोशाला की गाय अलग छंट जाती। जांच कर रहे अधिकारियों ने इस बिंदु को मजिस्ट्रेट जांच में शामिल कर लिया है।;
भोपाल। बैरसिया में बसई की गौसेवा भारतीय गौशाला में गायों के अनुदान को लेकर लंबे समय से खेल चल रहा था, दरअसल यहां मृत मिली गायों में सरकारी टैग नहीं मिला है, जिससे पता चल सके कि यह गाय गौशाला की है या किसी बाहरी व्यक्ति ने यहां पर गाय का शव फेंका है। इसको लेकर जब पशुपालन विभाग की टीम पहुंची तो यहां मृत और जीवित गायों के सरकारी टैग नहीं मिलने की जानकारी मिली। गड्ढे में भरी गईं 20 गायों के कान पर भी कोई निशानी नहीं थी। अगर होती तो गोशाला की गाय अलग छंट जाती। जांच कर रहे अधिकारियों ने इस बिंदु को मजिस्ट्रेट जांच में शामिल कर लिया है।
बिना टैग के बांटा जा रहा था अनुदान
पशुपालन विभाग ने भी संचालिका निर्मला देवी शांडिल्य के बयान दर्ज किए हैं। बसई की गोसेवा भारती गोशाला में 300 गायों को 20 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान दिया जाता है। हालांकि यह अनुदान बजट आने पर दिया जाता है। ऐसे में यहां बिना टैग के ही अनुदान बांटा जा रहा था या फिर कागजों में टैग और उनके नंबर भी जारी किए गए हैं।
बीमार और बूढ़ी गायों का नहीं होता इलाज
दरअसल गौशालाओं में जो गायें थोड़ी बहुत काम की होती हैं उनको तो व्यवस्थित तरीके से रखा जाता है, लेकिन काफी संख्या में बूढ़ी, बीमार, पन्नी खाई हुई गायें रहती हैं, जिनका इलाज तक नहीं किया जाता। वो धीरे-धीरे कर दम तोड़ती जाती हैं। नियम के मुताबिक गोशाला में आने के बाद गायों की टैगिंग की जाए। इससे गोशाला संचालक गायों को मरने के बाद फेंक नहीं सकते।