खंडवा में इलेक्शनवार बनाम कोल्डवार में उलझ गई भाजपा

अर्चना चिटनीस और हर्ष चौहान के बीच अदावत साफ दिखाई पड़ रही है। मुख्यमंत्री की मौजदूगी में भी दोनों एक दूसरे की तौहीन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मुख्यमंत्री और अन्य बड़े नेता जहां अपने संबोधन में मंचासीन सभी प्रमुख नेताओं का नाम लेते हैं। वहीं अर्चना चिटनीस और हर्ष चौहान एक दूसरे का नाम तक नहीं लेते हैं। यह कोल्डवार पार्टी के इलेक्शनवार पर भारी पड़ रहा है।;

Update: 2021-10-19 10:37 GMT

भोपाल। भाजपा के तमाम दावों के विपरीत खंडवा लोकसभा क्षेत्र में पार्टी के नेताओं के बीच शीत युद्ध कम नहीं हो रहा है। विशेषकर अर्चना चिटनीस और हर्ष चौहान के बीच अदावत साफ दिखाई पड़ रही है। मुख्यमंत्री की मौजदूगी में भी दोनों एक दूसरे की तौहीन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मुख्यमंत्री और अन्य बड़े नेता जहां अपने संबोधन में मंचासीन सभी प्रमुख नेताओं का नाम लेते हैं। वहीं अर्चना चिटनीस और हर्ष चौहान एक दूसरे का नाम तक नहीं लेते हैं। यह कोल्डवार पार्टी के इलेक्शनवार पर भारी पड़ रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता नंद कुमार सिंह चौहान के निधन से रिक्त हुई खंडवा लोकसभा सीट के उपचुनाव सत्तारूढ़ भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। खंडवा सीट भले ही पारंपरिक रूप से भाजपा की मानी जाती है, लेकिन क्षेत्रीय नेताओं के बीच चल रहा कोल्डवार पार्टी की रणनीति को कमजोर कर रहा है। इस चुनाव की घोषणा के बहुत पहले से खुद को प्रत्याशी मानकर चल रहे स्वर्गीय नंदू भैया के पुत्र हर्ष सिंह चौहान टिकट नहीं मिलने से नाराजगी के चरम पर हैं। वहीं नंदू भैया के बाद टिकट की प्रमुख दावेदार अर्चना चिटनीस टिकट न मिलने के बाद भी अपना वजूद बड़ा साबित करने की हर संभव कोशिश में जुटी हैं। इसलिए उनके और हर्ष के बीच शीतयुद्ध खुल्लमखुल्ला दिखाई पड़ने लगा है। खडंवा सीट भाजपा से छीनने की हर संभव कोशिश में लगी कांग्रेस की निगाहें भाजपा की इस अंतर्कलह पर पूरी तरह से लगी हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव कहते हैं कि खंडवा उपचुनाव में भाजपा के खेमे पार्टी के प्रत्याशी को निपटाने में लगे हैं। ऐसे में कांग्रेस को अपनी जीत का मार्जिन बढ़ता साफ दिखाई दे रहा है।

खंडवा के दोनों नेताओँ के मनमुटाव का आलम यह है कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हो रही चुनावी सभाओं में भी दोनों एक दूसरे का नाम नहीं लेते हैं। हर्ष जहां क्षेत्र के विकास के लिए सिर्फ अपने पिता की दमदारी का दावा करते हैं, वहीं अर्चना चिटनीस नंदू भैया के साथ खुद और मुख्यमंत्री के योगदान का जमकर बखान करती हैं। भरे मंच पर नेताओं को यह गुरुर वाला अंदाज मुख्यमंत्री को रास नहीं आता है, लेकिन चुनाव के कारण वे सहजता के साथ बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करते हैं। हालांकि भाजपा दोनों नेताओं के बीच किसी तरह के मनमुटाव और आपसी अदावत से ही इंकार करती है। भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि भाजपा के सभी नेता पूरी ताकत से पार्टी प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल की जीत के लिए काम कर रहे हैं।

भाजपा के नेता भले ही अदावत से इंकार करें लेकिन खंडवा में भाजपा नेतृत्व को दो मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है। उसे इलेक्शन-वार में कांग्रेस की एक जुटता का सामना करना पड़ रहा है, तो कोल्डवार में अपने नेताओँ की आपसी अदावत से जूझना पड़ रहा है। पार्टी के अध्यक्ष वीडी शर्मा और स्टार प्रचारक सीएम शिवराज सिंह चौहान को समझ लेना चाहिए कि इन नेताओँ के आपसी मतभेदों की कहानी अगर मतदाता के मन में बैठ गई तो खंडवा की खटास पार्टी को महंगी पड़ जाएगी।

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