चंबल की बेटी यूक्रेन में, नहीं हारी है हिम्मत
200 बचे फंसे हैं कीव में इंडियन ऐंबेसी के पास के स्कूल में, वीडियो कॉल पर कहा कि हमें भगा रहे हैं यहां से। कीव से बच्चों को ट्रेनों में जाने के लिए कहा है। वहां से ट्रेनें बेस्टर्न सिटीज की ओर जाती हैं। मुरैना के डा. पदमेश उपाध्याय की बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी यूक्रेन में। मुरैना की गांधी कॉलोनी की एक बेटी व दो बेटे तीन दिन से कीव में ही हैं। योगमाया ने यह भी बताया कि इस स्कूल से जो 200 के करीब बच्चे जा चुके हैं, वे भी यूक्रेन के बॉर्डर पर फंसे हैं, आगे नहीं जा पाए हैं।;
विनोद त्रिपाठी - भोपाल। यूक्रेन पर रूस के हमले जारी हैं। ऐसे में शनिवार की रात 8 बजे के करीब हरिभूमि भोपाल ने जब यूक्रेन की राजधानी कीव में इंडियन ऐंबेसी के पास के एक स्कूल भवन में तीन दिन से फंसे 200 के करीब बच्चों में से एक बेटी से बात की नया खुलासा हुआ। चंबल की बेटी योगमाया उपाध्याय ने व्हाट्सअप वीडियो कॉल पर कहा कि अभी यहां साढेÞ चार बजने वाले हैं। हम लोगों से कहा गया है कि 5 बजे से कर्फ्यू लग जाएगा। यह जगह सुरक्षित नहीं है। इसलिए तुम लोग यहां से चले जाओ। योगमाया ने यह भी बताया कि इस स्कूल से जो 200 के करीब बच्चे जा चुके हैं, वे भी यूक्रेन के बॉर्डर पर फंसे हैं, आगे नहीं जा पाए हैं।
हम लोग कहां जाएं :
योगमाया उपाध्याय मध्यप्रदेश के चंबल संभाग मुख्यालय मुरैना जिले के डा.पदमेश उपाध्याय की बेटी है। योगमाया ने हरिभूमि भोपाल को बताया कि हम लोगों को यहां से जाने को कहा जा रहा है, लेकिन हम कहां जाएं। क्योंकि हम लोगों से ट्रेन से जाने को कहा जा रहा है। जबकि ट्रेनें तो बेस्टर्न सिटीज तक ही जाएंगीं। ऐसे में हम लोग वहां से आगे कहां जाएंगे, अपने देश भारत कैसे लौटेंगे, यह कुछ व्यवस्था नहीं है।
जहां ट्रेन जाएगी, वहां से पैदल जाना होगा 40 किलोमीटर दूर :
योगमाया ने बताया कि ट्रेन से जहां तक हमें भेजा जा रहा है, वहां से यूक्रेन का बॉर्डर 40 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है। वहां तक हम लोगों को पैदल ही जाना होगा। रात भी होने जा रही है। हमसे कहा गया है कि तुम लोग कर्फ्यू शुरु होने से पहले ही निकल जाओ।
पोलैंड और रोमानिया जा सकते हैं :
यूक्रेन से निकलकर कहां जाना है, यह निश्चित नहीं है। इसे लेकर योगमाया समेत 200 के करीब बच्चे बेहद चिंतित हैं। योगमाया ने कहा कि यूक्रेन से निकलकर हम लोग पोलैंड या रोमानिया ही पहुंच सकते हैं। फिर वहां से भारत भेजने की क्या व्यवस्था है, यह इंडियन ऐंबेसी ने हम लोगों को अभी तक नहीं बताया है।
भोजन की भी उचित व्यवस्था नहीं :
योगमाया ने कहा कि फायरिंग, मिशाइल आदि की आवाजें आ रही हैं तो पहले से ही भूख उड़ी हुई है। इसके अलावा यहां भोजन की भी उचित व्यवस्था नहीं है। जैसा-तैसा कुछ खाने को मिल रहा है, उसी से काम चला रहे हैं। एक साथ एक स्कूल के कक्ष में हम लोगों को ठहराया गया है, लेकिन यहां हमारी फिक्र इंडियन ऐंबेसी गंभीरता से नहीं कर रही है।
बॉर्डर पर फंसे हैं बच्चे :
योगमाया ने बताया कि यहां अब 200 के करीब बच्चे हैं, लेकिन यहां से जो 200 के करीब बच्चे निकल गए हैं, वे बॉर्डर पर फंसे हैं, वहां से आगे जाने की उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में हम लोग भी बॉर्डर पर जाकर न फंस जाएं, यह चिंता सता रही है।
हमसे कहा गया कि यहां भी असुरक्षा :
योगमाया ने कहा कि इंडियन ऐंबेसी की ओर से हम लोगों को यहां भी असुरक्षा बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि तुम लोग यहां सुरक्षित नहीं हो, इसलिए ट्रेनों से निकल जाओ, लेकिन हम निकलकर जाएंगे कहां, यह कुछ पता नहीं है।
हिम्मत नहीं हारी चंबल की बेटी ने :
हरिभूमि भोपाल से जब चंबल की बेटी योगमाया उपाध्याय को हिम्मत दी गई कि बेटी घबराना नहीं है, कुछ न कुछ अच्छा अवश्य होगा, तुम सब भारत अपने घर जरूर लौटोगे, तो बेटी ने कहा कि अंकल, हमें भी ईश्वर पर, आप सब पर पूरा भरोसा है हम लोगों की सुरक्षित घर वापसी होगी, इसी हौंसले से यहां संघर्ष कर रहे हैं कि हम लोग घर पहुंच जाएं।
पिता डाले हैं दिल्ली में डेरा :
मुरैना के डा.पदमेश उपाध्याय समेत रवि पाराशर, जिनका बेटा समक्ष भी यूक्रेन में फंसा है और तीसरे छात्र वेदांत कुलश्रेष्ठ के परिजन भी दिल्ली में डेरा डाले हैं। डा.उपाध्याय ने बताया कि उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से संपर्क का प्रयास किया, लेकिन उनके निज सहायक से ही बात हो सकी। उन्होंने कहा है कि वे मंत्री के सामने उनकी बात रखेंगे।
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