Kamalnath vs bunty sahu in mp election 2023: हरिभूमि स्पेशल! 43 साल से कांग्रेस का गढ़ है छिंदवाड़ा, क्या इस बार बीजेपी यहां फहरा पाएगी अपना झंडा
हाई प्रोफाइल सीट छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से बीजेपी ने चंद्रभान सिंह की जगह फिर से विवेक बंटी साहू को मौका दिया है। 2019 के उपचुनाव में वो कमलनाथ से हार गए थे। विवेक बंटी साहू छिंदवाड़ा से बीजेपी के जिलाध्यक्ष हैं। कमलनाथ की वजह से छिंदवाड़ा सीट हाई प्रोफाइल मानी जाती है।;
Kamalnath vs bunty sahu: छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के सियासत की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक सीट है छिंदवाड़ा विधानसभा सीट। यह सीट छिंदवाड़ा जिले में आती है। इस जिले में 7 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें 4 सीटें आरक्षित हैं। छिंदवाड़ा जिले की किसी भी सीट पर बीजेपी को जीत नहीं मिली थी, यहां कांग्रेस का कब्जा है। छिंदवाड़ा विधानसभा सीट पर 2018 में दीपक सक्सेना ने जीत हासिल की थी। लेकिन 2019 के उपचुनाव में कमलनाथ यहां से विधायक चुने गए।
मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में अब महज केवल 14 दिनों का वक्त ही बचा है। आने वाले 17 नवंबर को सभी राजनेताओं के भविष्य का फैसला ईवीयम में बंद हो जाएगा। इसी क़ड़ी में आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश की सभी हाई प्रोफाइल सीटों में से एक छिंदवाड़ा जो की कांग्रेस और कमलनाथ का गढ़ कही जाती है। कमलनाथ इस जिले की संसदीय सीट पर लंबे समय तक सांसद रहे हैं। 5 साल पहले प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में यही वो लोकसभा सीट है जहां पर बीजेपी के कब्जे में एक भी सीट नहीं आई। हालांकि बीजेपी की कोशिश इस बार जोरदार तरीके से पलटवार करने की है। छिंदवाड़ा सीट पर भी बीजेपी पहले ही अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर चुकी हैं।
कितनी आबादी, कितने वोटर
2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो छिंदवाड़ा सीट पर हुए चुनाव में 15 उम्मीदवार आमने-सामने थे। कांग्रेस के दीपक सक्सेना को 104,034 वोट मिले जबकि 3 बार के विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार चौधरी चंद्रभान सिंह को 89,487 वोट मिले। दीपक ने 14,547 मतों के अंतर से यह जीत हासिल की थी। तब के चुनाव में यहां पर 2,47,511 वोटर्स थे।
हालांकि चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार कमलनाथ की अगुवाई में बनी। ऐसे में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की वजह से उन्हें विधायक बनना जरूरी था, इसलिए दीपक सक्सेना ने यह सीट छोड़ दी और फिर 2019 में हुए उपचुनाव में कमलनाथ ने जीत हासिल की थी। कमलनाथ को 114,459 वोट मिले तो बीजेपी के विवेक बंटी साहू को 88,622 वोट मिले. कमलनाथ ने यह चुनाव 25,837 मतों के अंतर से जीत लिया।
कैसा रहा राजनीतिक इतिहास
छिंदवाड़ा विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यह सीट हमेशा से कांग्रेस के कब्जे में नहीं रही है। 2013 के चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। चौधरी चंद्रभान सिंह को यहां पर जीत मिली थी। 1990 से लेकर अब तक के चुनाव की बात करें तो तब भी चौधरी चंद्रभान सिंह ने चुनाव जीता था और दीपक सक्सेना को हराया था। लेकिन 1993 में दीपक सक्सेना यह चुनाव जीत गए।
1998 में यह सीट बीजेपी के पास चली गई। जबकि 2003 के चुनाव में बीजेपी के चौधरी चंद्रभान सिंह ने दीपक को फिर से हरा दिया। 2008 में दीपक ने पिछली हार का बदला लिया और चौधरी चंद्रभान सिंह को मात दे दी। 2013 में चौधरी चंद्रभान सिंह फिर से विजयी हुए। लेकिन 2018 के चुनाव में हार गए। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर रही है।
क्या है सामाजिक-आर्थिक ताना बाना
हाई प्रोफाइल सीट छिंदवाड़ा से बीजेपी ने चंद्रभान सिंह की जगह फिर से विवेक बंटी साहू को मौका दिया है। 2019 के उपचुनाव में वो कमलनाथ से हार गए थे। विवेक बंटी साहू छिंदवाड़ा से बीजेपी के जिलाध्यक्ष हैं। कमलनाथ की वजह से छिंदवाड़ा सीट हाई प्रोफाइल मानी जाती है। छिंदवाड़ा में हिंदुस्थान यूनीलिवर लिमिटेड और रेमंड ग्रुप समेत कई कंपनियां हैं और इस वजह से यहां पर काफी लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इस सीट पर ओबीसी वोटर्स निर्णायक भूमिका में होते हैं। .
कौन दे रहा है इस बार कमलनाथ को टक्कर
17 नवंबर 2023 को होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने छिंदवाड़ा से दोबारा विवेक बंटी साहू को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने भी छिंदवाड़ा सीट से प्रदेश अध्यक्ष और छिंदवाड़ा एमएलए को हो प्रत्याशी बनाया है। कमलनाथ छिंदवाड़ा से 9 बार लोकसभा निर्वाचित हुए है। एक लोक सभा उपचुनाव में कमलनाथ बीजेपी के सुंदर लाल पटवा के सामने हार का सामना करना पडा।