Devuthani Gyaras : देवउठनी ग्यारस का महत्व, घर होंगे दीए से रोशन
Devuthani Gyaras : दतिया। देवउठनी एकादशी प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं।;
Devuthani Gyaras : दतिया। देवउठनी एकादशी (Ekadashi) प्रत्येक वर्ष (Every Year) कार्तिक माह (Kartik Month) के शुक्ल पक्ष (Shukla Pacha) की एकादशी तिथि (Date) को मनाई (Celebrate) जाती है। मान्यता है कि इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं। इस शुभ अवसर पर तीनों लोकों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी तिथि से मांगलिक कार्य का शुभारंभ होता है। शास्त्रों में निहित है कि भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी तिथि पर क्षीर सागर में शयन करने चले जाते हैं और देव उठनी एकादशी तिथि पर जागृत होते हैं।
सनातन धर्म की मान्यता
धार्मिक मत यह भी है कि इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मंगल का आगमन होता है। देव उठनी एकादशी पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। भगवान विष्णु की पूजा में ईख यानी गन्ने का विशेष महत्व है।
देवउठनी एकादशी तिथि पर ईख का मंडप बनाकर उसमें भगवान विष्णु एवं माता तुलसी को विराजित किया जाता है। इस पर्व को तुलसी विवाह का पर्व भी कहा जाता है। सैकड़ों किसान गन्ना लेकर शहर में पहुंचे हुये हैं और उनके गन्ने की बिक्री भी जमकर हो रही है गन्ना की अच्छी बिक्री होने से किसानों के चेहरों पर खुशी दिखाई दे रही है। देश भर गुरूवार के दिन मंदिरों में सनातन धर्म के लोगों ने अपने आराध्य देव की विशेष पूजा की। बता दें कि इस दिन को भी दीपावली पर्व के रूप में मनाये जाने की प्रथा है। सनातन धर्म के लोग इस दिन भी अपने पूरे घर को दीयों की रोशनी से भर देते हैं। विशेष पकवान बना कर यह पर्व मनाया जाता है।
दतिया से राजीव मिश्रा की रिपोर्ट