ज्योतिरादित्य के महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर माथा टेकने से कांग्रेस में अलग-अलग सुर, जानिए किसने क्या कहा

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पहुंचे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर माथा टेकना बहस का मुद्दा बन गया है। कांग्रेस में इसे लेकर अलग-अलग सुर निकल रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि ज्योतिरादित्य का लक्ष्मीबाई के सामने नमन करना साहसिक कार्य है। दूसरी तरफ ग्वालियर महिला कांग्रेस की शहर जिलाध्यक्ष रुचि गुप्ता ने कहा है कि वीरांगना की आत्मा को दुख पहुंचा है। समाधि स्थल को कुदरत बारिश के जरिए खुद शुद्ध कर देगी वरना फिर हम इसे धोकर शुद्ध करेंगे। बता दें, सिंधिया रविवार को वीरांगना की समाधि पर पहुंचे थे।;

Update: 2021-12-28 07:00 GMT

भोपाल। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पहुंचे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर माथा टेकना बहस का मुद्दा बन गया है। कांग्रेस में इसे लेकर अलग-अलग सुर निकल रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि ज्योतिरादित्य का लक्ष्मीबाई के सामने नमन करना साहसिक कार्य है। दूसरी तरफ ग्वालियर महिला कांग्रेस की शहर जिलाध्यक्ष रुचि गुप्ता ने कहा है कि वीरांगना की आत्मा को दुख पहुंचा है। समाधि स्थल को कुदरत बारिश के जरिए खुद शुद्ध कर देगी वरना फिर हम इसे धोकर शुद्ध करेंगे। बता दें, सिंधिया रविवार को वीरांगना की समाधि पर पहुंचे थे।

आज भी गद्दारी जनता के वोट के साथ

महिला कांग्रेस नेता रुचि ने कहा- 'जो लोग कल कत्ल पर हंस रहे थे, आज उस बुत पर फूल-माला चढ़ाकर हंस रहे हैं। मंसूबे तब भी वही थे, मंसूबे आज भी वही हैं। तब गद्दारी की थी और आज भी गद्दारी जनता के वोट के साथ की है। रानी लक्ष्मीबाई को तकलीफ कितनी हुई होगी, जब उनकी समाधि पर पैर रखा होगा। 1857 में सिंधिया घराने ने रानी से गद्दारी की थी। इसी घराने के मुखिया अब लक्ष्मीबाई की समाधि पर गए हैं। उन्हें बताना चाहिए आज क्या जरूरत पड़ गई, वहां जाने की? क्या मजबूरी थी लक्ष्मीबाई को नमन करने की?'

सिंधिया परिक्रमा कर टेका था माथा

रविवार, 26 दिसंबर को ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में एक दिन के प्रवास पर आए थे। शाम 5.30 बजे सिंधिया अचानक प्रद्युम्न सिंह तोमर के साथ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पहुंचे थे जबकि यहां आने का उनका कोई कार्यक्रम भी नहीं था। इससे पहले सिंधिया घराने के किसी सदस्य ने ऐसा नहीं किया था। उन्होंने वीरांगना को नमन किया। माथा टेका। समाधि स्थल की परिक्रमा भी की।

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