कोविड संक्रमण के भय से प्रशासन ने तोड़ दिया पुल, जान जोखिम में डालकर पार कर रहे लोग
जिले में कोविड संक्रमण के भय से आवागमन रोकने के लिए पांटून पुल को तोड़ दिया गया था। जिससे चंबल नदी के किनारे बसे 120 गांव के लोगों को आवागमन में काफी दिक्कत आ रही है। उन्हें कहीं आने जाने के लिए 100 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है। इसलिए वे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहें हैं। पढ़िए पूरी खबर-;
मुरैना। जिले में कोविड संक्रमण के भय से आवागमन रोकने के लिए पांटून पुल को तोड़ दिया गया था। जिससे चंबल नदी के किनारे बसे 120 गांव के लोगों को आवागमन में काफी दिक्कत आ रही है। पुल उनके आने-जाने का एकमात्र साधन था। अब उन्हें कहीं आने जाने के लिए 100 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है। इसलिए वे अपनी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पट्टे को नदी में डाल रहे हैं और उसी के सहारे पुल पार कर रहें हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश यूपी के बीच बहने वाली चंबल नदी के दोनों किनारों पर 120 गांव बसे हैं। गांव में रहने वाले लोगों की मध्य प्रदेश के अंबा और यूपी के पिनाहट सहित कई गांव में रिश्तेदारी है। आवागमन का एकमात्र साधन पांटून पुल के जरिए वे कहीं भी आना जाना करते थे। लेकिन कोरोना काल में पुल पर आवागमन रोकने के लिए दोनों साइड से स्लीपर हटा दिए गए हैं। जिससे लोग मध्यप्रदेश और यूपी की सीमा में प्रवेश न कर सकें।
इससे पहले इस पुल से बाइक और हल्के चार पहिया वाहन निकल रहे थे। लेकिन अब पैदल निकलना भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि कोरोना काल में बसों का आवागमन पूरी तरह बंद है। मध्य प्रदेश यूपी की सीमा में पांटून पुल में आवागमन बंद करने के लिए पुल के दोनों तरफ दो-दो पाइप हटा दिए गए हैं, जिससे पुल व नदी घाट के बीच 10 फीट चौड़ी जगह खाली हो गई है। यहां 10 फीट गहरा पानी है। लोग इसी में लकड़ी के पट्टे डालकर अपनी जान जोखिम में डालकर निकलने को मजबूर हैं। हालांकि जिला प्रशासन का कहना है कि कोरोना काल में पांटून पुल को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था, जल्द ही पांटून पुल का पुनः निर्माण कर आवागमन शुरू किया जाएगा।