खबर का असर : फीस का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं करना निजी स्कूलों पर पड़ सकता है भारी, आयुक्त ने कलेक्टरों को दिए कारवाई के आदेश

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी निर्धारित समयावधि में फीस का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं करना कुछ निजी स्कूलों पर भारी पड़ सकता है। सोमवार को हरिभूमि में प्रमुखता से खबर प्रकाशित होने के बाद मामले में लोक शिक्षण संचालनालय ने सख्त रूख अपनाया है। लोक शिक्षण आयुक्त अभय वर्मा ने प्रदेशभर के कलेक्टर्स को इस संबंध दिशा-निर्देश जारी करते हुए असहयोग करने वाले निजी स्कूलों के विरूद्व नियमानुसार कारवाई करने के आदेश दिए हैं।;

Update: 2021-10-18 15:46 GMT


भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णय के अनुपालन में प्रदेश के निजी स्कूलों से वसूली गई फीस की ब्यौरा मांगा है। यह ब्यौरा स्कूल शिक्षा विभाग के एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड किया जाना है। लेकिन प्रदेश में अधिकतर स्कूल फीस का ब्यौरा देने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। हालात यह है कि विभाग के एजुकेशन पोर्टल पर 37,074 स्कूलों का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से सोमवार रात तक तक मात्र 18,737 स्कूलों ने ही जानकारी पोर्टल पर डाली है। जबकि कोर्ट के आदेश में अंतिम अवसर के रूप में चार सप्ताह की समयावधि (18 अक्टूबर 2021 तक) में निजी स्कूलों की फीस की प्रविष्टि सार्वजनिक करने के निर्देश दिए गए थे। ऐसे में अब आयुक्त वर्मा ने सभी कलेक्टर्स को आदेश जारी करते हुए कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित समयसीमा को ध्यान में रखते हुए उक्त कार्य को उनके स्तर पर देखा जाए, ताकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का पालन सुनिश्चित हो सके। जिन निजी स्कूलों द्वारा इस कार्य में असहयोग किया जा रहा है उनके विरूद्व नियमानुसार कार्यवाही की जाए।

इन जिलों की स्थिति खराब :

आयुक्त वर्मा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि जिला निवाड़ी, टीकमगढ़, शहडोल, उज्जैन, अनूपपुर, बड़वानी, अशोकनगर, कटनी, मुरैना, श्योपुर, डिंडौरी, रीवा, शिवपुरी, रायसेन, सीधी, धार, सतना, खरगोन, भिंड एवं इंदौर से 50 प्रतिशत या उससे भी कम प्रविष्टि की गई है। इसके अलावा उक्त माड्यूल में वर्ष 2020-21 में निजी स्कूलों द्वारा कराए गए आॅनलाइन अध्यापन की भी प्रविष्टि की जानी है। 

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