प्रदेश में पहली बार सरकारी अस्पताल में इस मशीन का हुआ उपयोग, बचा ली महिला की जान
मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पताल में पहली बार ऐसा हुआ जब एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) से पीड़ित महिला को एक्मो मशीन का उपयोग से वायरल से खराब हो गए फेफड़ों को दो सप्ताह तक कृत्रिम लंग्स से सांस देकर जान बचाई गई।;
भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पताल में पहली बार ऐसा हुआ जब एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) से पीड़ित महिला को एक्मो मशीन का उपयोग से वायरल से खराब हो गए फेफड़ों को दो सप्ताह तक कृत्रिम लंग्स से सांस देकर जान बचाई गई। यह मध्य भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि एम्स भोपाल इस क्षेत्र का पहला सरकारी अस्पताल है जिसके पास एक्मो (ईसीएमओ) मशीन है । ईसीएमओ एक जीवन रक्षक तकनीक है जो फेफड़ों और हृदय के कार्यों की नकल करती है ।
एम्स में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) से पीड़ित 32 वर्षीय महिला को दो सप्ताह तक कृत्रिम लंग्स से सांस देकर उसकी जान बचाई गई। एक्मो मशीन लगाकर मरीज के फेफड़ों को आराम करने दिया गया।
सरकारी अस्पताल में यह पहला मौका है, जब कृत्रिम लंग्स कही जाने वाली ईसीएमओ (एक्मो) मशीन का उपयोग किया गया। महिला को खांसी और सांस लेने में तकलीफ के चलते एम्स में भर्ती किया गया था। उसका ऑक्सीजन लेवल 42 प्रतिशत पर था। मरीज की जांच के बाद पता चला कि वह फेफड़े की गंभीर बीमारी एआरडीएस से पीड़ित है।
इन डॉक्टरों ने रचा इतिहास
संभवतः वायरल बुखार के चलते फेफड़े बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिससे वह पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं दे पा रहे थे। ऐसे में उसे रेस्पिरेटरी इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कर इलाज किया गया।
पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ. अभिषेक गोयल, डॉ. अलकेश खुराना ने कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉ. योगेश निवारिया, डॉ. योगेश निवारिया, डॉ. किशन, डॉ. सुरेंद्र, डॉ. मौली किरण के सहयोग से ईसीएमओ मशीन द्वारा इलाज शुरू किया। 48 दिनों तक आरआईसीयू में उपचार के बाद मरीज की हालत में सुधार होता देख सभी सहायक नलियों को हटाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि अब मरीज पूरी तरह से स्वास्थ रहे ।