बूस्टर डोज लगवाने नहीं आ रहे फ्रंटलाइन वर्कर, प्रशासन की चेतावनी भी बेअसर
भोपाल। बार-बार चेतावनी के बावजूद सतर्कता (बूस्टर) डोज को लेकर चिकित्साकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर जागरूक नजर नहीं आ रहे। अब भी 12 हजार से ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर और चिकित्साकर्मी हैं जिन्होंने पात्र होने के बावजूद सतर्कता डोज नहीं लगवाई है। शासन-प्रशासन कई बार अपील कर चुके हैं कि फ्रंटलाइन वर्कर अनिवार्य रूप से सतर्कता डोज लगवा लें लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ रहा। इतना ही नहीं वेतन रोकने तक के आदेश दिए गए, फिर भी बचे हुए फ्रंटलाइन वर्कर पर कोई असर नहीं पड़ा। बतादें कि जिन लोगों को कोरोना का दूसरा टीका लगवाए नौ माह हो चुके हैं उन्हें सतर्कता डोज लगाई जा रही है। जिले में अब भी 12 हजार से ज्यादा चिकित्साकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर हैं जो सर्तता डोज लगवाने के लिए पात्र होने के बावजूद टीकाकरण सेंटरों पर नहीं पहुंच रहे। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग का टीकाकरण अभियान भी धीरे-धीरे कमजोर पड़ता नजर आ रहा है। किसी समय राजधानी में रोजाना 50 हजार से ज्यादा टीके लगाए जा रहे थे लेकिन अब यह संख्या एक हजार से भी नीचे पहुंच गई है।
- 25 हजार से ज्यादा किशोर जिन्हें पहला टीका ही नहीं लगा
तीन जनवरी 2022 से 15 वर्ष से अधिक उम्र के किशोरों का टीकाकरण शुरू हुआ है। शुरूआती तीन दिन में ही राजधानी में एक लाख से ज्यादा किशोरों को टीका लगाया जा चुका था लेकिन इसके बाद से टीकाकरण अभियान कमजोर पड़ा गया। 2 फरवरी से किशोरों को कोरोना का दूसरा टीका लगाना शुरू हुआ है लेकिन इसे लेकर भी बहुत ज्यादा उत्साहजनक परिणाम नजर नहीं आ रहे। हालत यह है कि जिले में अब भी 25 हजार से ज्यादा किशोर हैं जिन्हें अब तक कोरोना का पहला टीका ही नहीं लगा है।
- टीका लगाने भटक रहे टीनएजर
किशोरों के टीकाकरण अभियान कमजोर पड़ने के पीछे विभागों के बीच समन्वयता का अभाव भी नजर आ रहा है। दरअसल कोरोना का पहला टीका लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्कूली शिक्षा विभाग की मदद ली थी और स्कूलों को टीकाकरण केंद्र के रूप में तैयार किया था लेकिन दूसरा टीका लगाने के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई। ऐसे में दूसरा टीका लगवाने के लिए टीनएजर स्कूलों में पहुंचे तो उन्हें टीका नहीं लगा सका।
- बूस्टर डोज नहीं लगाने वाले निजी संस्थानों के
ज्यादातर शासकीय फ्रंटलाइन वर्करों और चिकित्साकर्मियों ने सतर्कता डोज लगवा ली है। जिन्होंने नहीं लगवाई है उन्हें भी प्रेरित किया जा रहा है। पात्रता के बावजूद सतर्कता डोज नहीं लगवाने वालों में ज्यादातर निजी संस्थानों के हैं। कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सभी को सतर्कता डोज लग जाए।
डॉ उपेंद्र दुबे, जिला टीकाकरण अधिकारी