Hamidia Hospital में फिर शुरू हुआ किडनी ट्रांसप्लांट, इंजेक्शन की कमी से नहीं मिल पा रही थी ये सुविधा

Hamidia Hospital: हमीदिया अस्पताल में करीब आठ महीने बंद किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा बुधवार से एक बार फिर से शुरू हो गई है।;

Update: 2023-07-06 04:37 GMT

Bhopal News: हमीदिया अस्पताल में करीब आठ महीने बंद किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा बुधवार से एक बार फिर से शुरू हो गई है। मरीज की सभी तरह की जांच के बाद बुधवार को किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। एक मरीज को उसकी पत्नी की किडनी लगाई गई है। किडनी ट्रांसप्लांट के मामलों में जरूरी एटीजी इंजेक्शन उपलब्धता की समस्या दूर होने से किडनी प्रत्यारोपण की प्रक्रिया लगातार चलना संभव होगा।

2021 में हुई थी किडनी प्रत्यारोपण की शुरुआत

हमीदिया अस्पताल में 2021 में किडनी प्रत्यारोपण की शुरुआत हुई थी। 2021 में दो प्रत्यारोपण हुए, जबकि बीते 2022 में भी दो ही किडनी प्रत्यारोपण हो पाए थे। नवंबर 2022 के बाद एक भी प्रत्यारोपण नहीं हुआ था। इसकी प्रमुख वजह एटीजी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होना भी था। हमीदिया अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार,  44 वर्षीय मरीज को उनकी पत्नी की किडनी का प्रत्यारोपण किया गया है। मरीज को तीन साल पहले किडनी रोग का पता चला था जब उनका हाई ब्लड प्रेशर के लिए इलाज चल रहा था, उनको आगे की जांच-पड़ताल में किडनी की बीमारी बढ़ते चली गई और एक साल पहले उनका डायलिसिस शुरू करवानी पड़ा। अब मरीज़ की पत्नी ने उन्हें अपनी एक किडनी दान कर फिर से नया जीवन दिया है।

सरकार ने इंजेक्शन का रेट कांट्रैक्ट किया

अब एटीजी इंजेक्शन का सरकार की ओर से रेट कांट्रैक्ट कर लिया गया है। अब यह इंजेक्शन सरकारी सप्लाई में मिल सकेगा। उम्मीद है कि हमीदिया अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट में अब कोई परेशानी नहीं होगी। एटीजी इंजेक्शन ऐसे मामलों में उपयोग किया जाता है जिनमें किडनी लेने वाले और किडनी देने वाले दोनों का क्रॉस मेचिंग नहीं हो पाता है। ऐसे में एटीजी इंजेक्शन लगाया जाता है। एक एटीजी इंजेक्शन की कीमत लगभग 40 से 50 हजार रुपए होती है।

सर्जरी को लेप्रोस्कोपिक पद्धति से डोनर नेफ्रोटामी की गई

हमीदिया अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण नि:शुल्क किया जाता है। जबकि निजी अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण का खर्च दस लाख रुपए तक होता है। जबकि हमीदिया अस्पताल में आयुष्मान योजना में प्रत्यारोपण किया जाता है। बुधवार को हुई सर्जरी को लेप्रोस्कोपिक पद्धति से डोनर नेफ्रो टॉमी की गई है। जिससे मरीज को बड़ा चीरा नहीं लगाना पड़ता है। इस तरह का ऑपरेशन पहली बार किया जा रहा है। ऑपरेशन करने वालों की टीम में मेडिसिन विभाग कि डा.सिम्मी दुबे, विभागाध्यक्ष सर्जरी विभाग डा. अरविंद राय और विभागाध्यक्ष निश्चेतना विभाग डा.आरपी कौशल मौजूद रहे।

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