Chhindwara News: प्रदेश में आई फ्लू के बढ़े मरीज, रोजाना 100 से ज्यादा मिल रहे संक्रमित, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवायजरी
आई फ्लू के बढ़ते मामलों ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। बीते कुछ दिनों से आई फ्लू के केसेस की संख्या में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एडवायजरी जारी कर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। बता दें कि ये इन्फेक्शनन सिर्फ बच्चों को संक्रमित कर रहा है बल्कि हर वर्ग के लोगों को अपना शिकार बना रहा है। राजधानी भोपाल, इंदौर, छिंदवाड़ा सहित कई जिलों में वायरस के रोजाना 100 से ज्यादा मामले सामने आ रहे है;
छिंदवाड़ा : बारिश के मौसम में जहां डेंगू और मलेरिया ने प्रदेश भर में आतंक मचा रखा है। तो वही अब आई फ्लू के बढ़ते मामलों ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। बीते कुछ दिनों से आई फ्लू के केसेस की संख्या में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एडवायजरी जारी कर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। बता दें कि ये इन्फेक्शनन सिर्फ बच्चों को संक्रमित कर रहा है बल्कि हर वर्ग के लोगों को अपना शिकार बना रहा है। राजधानी भोपाल, इंदौर, छिंदवाड़ा सहित कई जिलों में वायरस के रोजाना 100 से ज्यादा मामले सामने आ रहे है, खास तौर पर ग्रामीण इलाको में। परिवार में एक व्यक्ति के संक्रमित होने से लगभग पूरा परिवार इसकी चपेट में आ रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने विशेष रूप से एडवाइजरी जारी की है ।
भोपाल में भी बढ़ी मरीजों की संख्या
संक्रमण न सिर्फ छिंदवाड़ा बल्कि भोपाल में काफी बढ़ हुआ है। जिसकी वजह से रोजाना कंजक्टिवाइटिस के 400 से अधिक मरीज आ रहे हैं। इसमें हमीदिया अस्पताल में नेत्र विभाग 100 मरीज हैं। इसके अलावा जय प्रकाश अस्पताल में रोजाना 80 से 100 मरीज पहुंच रहे हैं। वहीं जिले के स्वास्थ्य केंद्र एवं सिविल अस्पतालों में करीब 40-60 मरीज रोजाना सामने आ रहे हैं। एम्स और निजी अस्पतालों में भी हर रोज 100 से 150 मरीज पहुंच रहे हैं।
डॉक्टर ने संक्रमण को लेकर कही ये बात
डॉक्टरों का कहना है कि आई फ्लू की समस्या एक से दो सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाती है। इसे लेकर ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि बचाव को लेकर जागरूक रहने की जरूरत है। एम्स में नेत्र विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि संक्रमण से बचकर ही आई फ्लू को कम किया जा सकता है। इसमें मरीज की आंख के सफेद हिस्से में संक्रमण होता है, जो जल्द ठीक हो सकता है, लेकिन 30 फीसदी मरीजों में यह पुतली को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में गंभीर मरीजों की आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है। यह बीमारी देखने से नहीं, बल्कि संक्रमित जगह को छूने या मरीज के संपर्क में आने से होती है। ऐसे में बचाव को लेकर विशेष ध्यान रखना चाहिए।
यह है लक्षण
- आंखें लाल होना
- आंखें चिपचिपी होना
- आंखों में सूजन होना
- खुजली व पीले रंग का पानी आना
- आंखों में चमक लगना
स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी
= आंखों को छूने से पहले हाथ धो लें।
= संक्रमित का टॉवल, तकिया, आई ड्रॉप का इस्तेमाल न करें।
= संक्रमित व्यक्ति से आई टू आई कांटेक्ट से बचें।
= बाहर से आने के बाद आंखों को साफ पानी से धोएं।
= आंखों के सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग न करें।
= आंखों से निकलने वाले द्रव को गीले कपड़े से कई बार साफ करें।
= आंखों में लालीमा होने पर नेत्र चिकित्सक से इलाज कराएं।
= डॉक्टर की सलाह के बिना किसी ड्रॉप को आंख में न डालें।