टीएंडसीपी के लेआउट में चेंज होगी आबादी वाली जमीन

टीएंडसीपी के लेआउट में आबादी वाली जमीनों के कृषि में दर्ज होने से धारण अधिकार के आवेदन अटक गए हैं। जिसकी वजह से राजस्व रिकार्ड में जिन जमीनों को आबादी में शामिल किया गया है, उन्हें टीएंडसीपी में कृषि बताया जा रहा है।;

Update: 2022-12-02 15:44 GMT

लैंडयूज कृषि होने से जमीन के मालिकाना हक के आवेदन अटके

भोपाल। टीएंडसीपी के लेआउट में आबादी वाली जमीनों के कृषि में दर्ज होने से धारण अधिकार के आवेदन अटक गए हैं। जिसकी वजह से राजस्व रिकार्ड में जिन जमीनों को आबादी में शामिल किया गया है, उन्हें टीएंडसीपी में कृषि बताया जा रहा है। जिसकी वजह से धारण अधिकार के आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं। अब आबादी वाली जमीनों पर धारण अधिकार के मामले में राजस्व आयुक्त से मार्गदर्शन मांगा जा रहा है, जिससे लोगों को फायदा मिल सके।

पंद्रह साल पुराने मास्टर प्लॉन में आबादी वाली जगहों की जमीनों का लैंडयूज नहीं बदलने की वजह से कोलार सहित शहर के एक दर्जन से अधिक जगहों पर लोगों को मालिकाना हक मिलना मुश्किल हो रहा है। धारण अधिकार के तहत किए जा रहे आवेदन भी इन लोगों से नहीं लिए जा रहे हैं, दरअसल इन जगहों पर कॉलोनियां तो बस गई हैं, लेकिन टीएंडसीपी के रिकार्ड में यहां का लैंडयूज कृषि है, जिसको लेकर यहां पर धारण अधिकार के तहत जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जाएगा। जिसके लिए टीएंडसीपी के रिकार्ड में लैंडयूज को चेंज करना पड़ेगा।

इन क्षेत्र के लोगों को मिलेगा फायदा

ईदगाह हिल्स, बैरागढ़, बरखेड़ा पठानी, कोलार, शहर भोपाल व अन्य स्थानों पर निवासरत ढाई से तीन लाख की आबादी सरकारी और अर्बन सीलिंग (ऐसी जमीनें जो पूर्व में निजी थीं बाद में सरकारी हो गईं) पर वर्षों से काबिज है। इन लोगों पर न तो मालिकाना हक के दस्तावेज हैं, ना ही इनको बैंक लोन देती है। प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त भी नहीं कर सकते। इसमें खास बात ये है कि जमीन का उपयोग आवासीय और व्यावसायिक होने पर ही मालिकाना हक मिलेगा।

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