JP Hospital News : देश का पहला अस्पताल बना जयप्रकाश, जहां मूक-बधिर भी डॉक्टरों से कर सकेंगे संवाद
राजधानी के मॉडल अस्पताल जेपी में शहर के पांच हजार मूक बधिर अस्पताल में डॉक्टरों के साथ बिना किसी परेशानी संवाद कर सकेंगे।;
भोपाल। राजधानी के मॉडल अस्पताल जेपी में शहर के पांच हजार मूक बधिर अस्पताल में डॉक्टरों के साथ बिना किसी परेशानी संवाद कर सकेंगे। देश में पहली बार यह पहल शुरू करने वाले जेपी अस्पताल में इसके लिए एक्सपर्ट इंटरप्रेटर की व्यवस्था की गई है।जो मरीज के क्यूआर कोड स्केन करते ही उपलब्ध होंगे। यह एक्सपर्ट मरीजों को पर्चा बनवाने से लेकर डॉक्टर को समस्या बताने तक में मदद करेंगे। प्रबंधन का दावा है कि देश में यह सुविधा देने वाला जय प्रकाश चिकित्सालय (जिला अस्पताल) ऐसा अकेला अस्पताल है। इसके लिए डेफ केन फाउंडेशन के साथ एमओयू भी किया गया है।
कैसे काम करेगा यह सेटअप
डेफ केन फाउंडेशन की फाउंडर प्रीति सोनी खुद मुक बधिर हैं। ऐसे में उन्होंने साइन लेंगवेज के जरिए अपने साथ मौजूद इंटरप्रेटर की मदद से बात की। उन्होंने बताया कि जैसे ही कोई मूक बधिर अस्पताल पहुंचेगा, वैसे ही उसे क्यूआर कोड स्केन करना होगा। इसके तत्काल बाद एक साइन लेंगवेज एक्सपर्ट वीडियो कॉल पर उन्हें मुहैया हो जाएगा। जो उनकी बात समझकर अस्पताल के कर्मचारी, डॉक्टर, नर्स व अन्य लोगों को बताएगा। इसी प्रकार उनकी बातें मूक बधिर मरीज को समझाएगा। इससे मुक बधिर भी सामान्य लोगों की तरह इलाज करा सकेंगे।
पहले दिन ही अस्पताल पहुंचे 25 मूक-बधिर
अस्पताल में शुरू हुई नई सुविधा की जानकारी पाते ही पहले दिन 25 से ज्यादा मूक बधिर इलाज के पहुंचे। सभी ने इस सुविधा का लाभ उठाया। उन्होंने साइन लैंग्वेज एक्सपट की मदद से बताया कि यह उनके लिए किसी सपने की तरह है। आज तक वे जो डॉक्टर लिखते थे, वही इलाज करने को मजबूर थे। इलाज से जुड़े सवालों के लिए उन्हें बिना जवाब के ही संतोष करनापड़ता था।
हेल्प डेस्क से लेकर डॉक्टर के चैंबर तक में लगे क्यूआर कोड
साइन लैंग्वेज के एक्सपर्ट असानी से मुक बधिर को उपलब्ध हो सकें, इसके लिए अस्पताल में पांच जगह क्यूआर कोड लगाए गए हैं। इसमें हेल्प डेस्क, इएनटी, मेडिसिन, नेत्र, दंत विभाग की ओपीडी और सिविल सर्जन कक्ष भी शामिल हैं। इन्हें किसी तरह की समस्या आने पर हेल्प डेस्क पर तैनात कर्मचारियों को भी बेसिक ट्रेनिंग दी जानी है।
यह पायलट प्रोजेक्ट रहा सफल तो हर अस्पताल में होगा लागू
अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि इसे एक तरह के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भी देखा जा सकता है। यदि इसके बेहतर परिणाम मिलते हैं, तो इसे बड़े स्तर पर लागू करने का प्रस्ताव भी विभाग को दिया जा सकता है।
हर एक को मिले सही इलाज
हम अस्पताल में मूक बधिर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए यह सुविधा दे रहे हैं। हमारी कोशिश है कि हर एक व्यक्ति को सही इलाज मिले और वे जल्द स्वस्थ हों।
- डॉ. राकेश श्रीवास्तव, सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल