Kaliasot River: 72 किमी की जमीन पर कब्जे, इतनी ग्रीनरी हो तो पूरे शहर का प्रदूषण मिट जाए
कोलार इलाके से बहने वाली कलियासोत नदी के दोनों किनारों पर नदी के उद्गम से लेकर संगम तक करीब 72 किमी की जमीन अतिक्रमण की चपेट में है। नदी के ग्रीन बेल्ट की इस जमीन पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने पिछले अंतिम फैसले में कर दिए थे।;
भोपाल। कोलार इलाके से बहने वाली कलियासोत नदी के दोनों किनारों पर नदी के उद्गम से लेकर संगम तक करीब 72 किमी की जमीन अतिक्रमण की चपेट में है। नदी के ग्रीन बेल्ट की इस जमीन पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने पिछले अंतिम फैसले में कर दिए थे। इस पिटीशन के याचिकाकर्ता डाॅ. सुभाष सी. पाण्डे का कहना है कि एनजीटी ने कलियासोत नदी के संरक्षण को लेकर पिछले दिनों ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसका आदेश अब जारी हो गया है। एनजीटी ने नदी के दोनों किनारों से 33 मीटर तक के सभी कब्जे हटाकर ओपन स्पेस और ग्रीन बेल्ट विकसित करने का आदेश दिया है।
उद्गम से संगम तक एक किनारा 36 किमी का
डाॅ. पाण्डे के अनुसार कलियासोत नदी के दोनों ओर उद्गम यानि कलियासोत डैम के 13 शटर से नदी के संगम यानि मंडीदीप में बेतवा नदी में मिलने के बीच करीब 36 किमी का एक किनारा है। दोनों किनारों को मिलाकर 72 किमी के एरिया में यदि ग्रीन बेल्ट होता तो यहां इतनी हरियाली होती कि भोपाल शहर की वायु प्रदूषण की समस्या लगभग पूरी तरह खत्म हो सकती थी।
शहरी क्षेत्र में अरबों की है जमीन: डॉ. पाण्डे
डाॅ. पाण्डे के अनुसार नदी के दोनों किनारों को पर लाखों वर्गफीट की इस जमीन की इतनी बड़ी कीमत आंकी जा रही है। बहाव क्षेत्र के हिसाब से देखें तो फैसले की जद में सैकड़ों कब्ज्ो आएंगे। नदी की चौड़ाई और सीमा का निर्धारण भू-राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर होगा। ऐसे में अतिक्रमण बढ़ भी सकते हैं। अब एनजीटी के फैसले के खिलाफ बिल्डर लॉबी और प्रभावित रहवासी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।