मप्र के सरकारी स्कूलों में बांटी पिछले साल की यूनिफार्म हो गई छोटी,बच्चे बिना यूनिफार्म आ रहे स्कूल

मप्र के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दी जाने वाली यूनिफार्म भी लगभग बांट दी गई हैं। हालांकि, यह यूनिफार्म सत्र 2020-21 के लिए दी गई हैं, क्योंकि पिछली बार कोविड-19 के कारण अधिकतर स्कूलों में यूनिफार्म नहीं पहुंच पाई थी। ऐसे में बीते साल की यूनिफार्म अब बच्चों को छोटी पड़ने लगी है। नतीजन, कई विद्यार्थी बिना यूनिफार्म ही स्कूलों आने को मजबूर हैं।;

Update: 2021-10-03 13:39 GMT

भोपाल। कोरोना संक्रमण काल के चलते प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों (mp government school )में बंद की गई क्लासें अब नियमित रूप से शुरू हो गई हैं। इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दी जाने वाली यूनिफार्म (uniform) भी लगभग बांट दी गई हैं। हालांकि, यह यूनिफार्म सत्र 2020-21 के लिए दी गई हैं, क्योंकि पिछली बार कोविड-19 के कारण अधिकतर स्कूलों में यूनिफार्म नहीं पहुंच पाई थी। ऐसे में बीते साल की यूनिफार्म अब बच्चों को छोटी पड़ने लगी है। नतीजन, कई विद्यार्थी बिना यूनिफार्म ही स्कूलों आने को मजबूर हैं। शिक्षकों का कहना है कि बीते सत्र की यूनिफार्म हाल ही में बांटी गई हैं, वहीं सत्र 2021-22 की यूनिफार्म अब तक स्कूलों में नहीं पहुंची है। ऐसे में बच्चों के पास यूनिफार्म तो हैं, लेकिन वह उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। स्थिति यह है कि साल भर बाद स्कूलों में यूनिफार्म पहुंचने के कारण विद्यार्थी एक कक्षा से दूसरी कक्षा में पहुंच गए हैं और उनकी उम्र में भी बढ़ गई है। नतीजन, विद्यार्थियों को यूनिफार्म छोटी होने लगी है। जबकि सरकारी स्कूलों में पहुंचने वाले अधिकतर बच्चों के परिवार आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम नहीं होते हैं। उपेंद्र कौशल, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, शासकीय अध्यापक संगठन मप्र हरिभूमि से कहते हैं कि विभाग को चाहिए था कि स्कूलों से बच्चों के नाप मंगवाकर यूनिफार्म तैयार की जानी थी। यह समस्या सिर्फ राजधानी में ही नहीं है, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों के शिक्षक भी इससे परेशान हो रहे हैं। इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना भी दी गई है।

प्रति यूनिफार्म 600 रु., बजट 510 करोड़ 

प्रदेश सरकार ने प्रदेश के करीब 1 लाख 15 हजार 330 स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की यूनिफार्म के लिए 600 रूपए प्रति विद्यार्थी के हिसाब से 510 करोड़ रूपए का बजट स्वीकृत किया था। कक्षा 1 से 8वीं तक पढ़ने वाले करीब 80 लाख विद्यार्थियों को स्टैंडर्ड साइज की दो जोड़ी यूनिफार्म दी जानी थी। यूनिफार्म सिलाई का काम स्वसहायता समूहों के माध्यम से कराया गया। लेकिन स्थिति यह रही कि स्वसहायता समूहों के चयन आदि में ही आधा सत्र बीत गया। इकसे बाद यूनिफार्म सिलाई का काम शुरू हो सका। मार्च-अप्रेल तक यह यूनिफार्म स्कूलों में पहुंचना शुरू हुई थी।




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