चंबल के पानी के कारण कुरकुरी होती है मुरैना की गजक, दूसरी जगह नहीं मिलता ऐसा स्वाद
भोपाल। मुरैना की गजक का इतिहास 100 साल से भी पुराना है। बताया जाता है कि केवल मुरैना में ही तैयार गजक कुरकुरी होती है, जिसके कारण यहां तैयार गजक की मांग पूरे देश में है और इसे तैयार करवाकर विदेश में भी निर्यात किया जाता है। माना जाता है कि चंबल नदी के पानी के कारण गजक को अपना लाजवाब स्वाद और कुरकुरापन मिलता है।;
भोपाल। मुरैना की गजक का इतिहास 100 साल से भी पुराना है। बताया जाता है कि केवल मुरैना में ही तैयार गजक कुरकुरी होती है, जिसके कारण यहां तैयार गजक की मांग पूरे देश में है और इसे तैयार करवाकर विदेश में भी निर्यात किया जाता है। माना जाता है कि चंबल नदी के पानी के कारण गजक को अपना लाजवाब स्वाद और कुरकुरापन मिलता है। 5 से 8 किलोग्राम तक गजक तैयार करने में 10 से 15 घंटे लगते हैं और इसे एक विशेष प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है। गजक तैयार करने के लिए माहिर कारीगरों को रखा जाता है।
मुरैना से हुई है गजक की उत्पत्ति :
मुरैना में अंग्रेजों के शासन काल में डलिया में सिर पर रखकर एक मिठाई की बिक्री की जाती थी, जिसे गजक के नाम से जाना जाता था। बाद में गजक की प्रसिद्धी ऐसी बढ़ी की यह मुरैना की पहचान बन गई। इसके बाद देश भर में गजक का व्यापार होने लगा, लेकिन मुरैना की गजक का स्वाद अन्य जगहों पर नहीं आ पाया। इस कारण लोग मुरैना की गजक ही खासतौर पर पसंद करते हैं। आज मुरैना से प्रतिमाह सैंकड़ों क्विटंल गजक का व्यापार होता है।
इन कारणों से प्रसिद्ध है मुरैना की गजक :
चंबल के पानी में मिलने वाले कुछ विशेष घटक के कारण यहां की गजक कुरकुरी होती है। गजक बनाते समय जितना गुड़ मिलाया जाता है। उतने ही तिल भी मिलाए जाते हैं। यदि तिल कम मिलाए जाते हैं तो गजक ठोस हो जाती है। गजक को गुड़, तिल व शक्कर से ही तैयार किया जाता है। इसके अलावा इसमें कुछ नहीं मिलाया जाता है। गजक बनाने के लिए सबसे पहले गुड़, चीनी और पानी से चाशनी बनाई जाती है। चाशनी को पेस्ट बनने तक उसे आग पर रखकर अच्छे से मिलाया जाता और फिर उसे कील पर लटकाकर ठंडा किया जाता है। इसके बाद तिल गर्म कर ठंडा किया जाता है। बाद में चाशनी के साथ तिल को मिलाकर कूटा जाता है। इसे तब तक कूटा जाता है जब तक गजक खास्ता न हो जाए।
मुरैना की गजक को जीआई टैग मिलने से इसकी विश्व में पहचान बढ़ेगी। जीआई टैग मिलने से अन्य जगहों पर नकल करके उत्पाद को विशेष बताने के मुरैना के नाम का उपयोग नहीं हो सकेगा। इसका असर क्षेत्र के व्यापार व उत्पाद से जुड़े व्यापारियों को होगा।
- अंकित अस्थाना, कलेक्टर मुरैना