MP उपचुनाव: महल के साथ भाजपा, कांग्रेस अकेले दिखाएगी ताकत

चंबल-ग्वालियर अंचल में पहली बार देखने को मिलेंगे कई दिलचस्प दृश्य। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2020-08-24 18:09 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश में उप चुनाव 27 विधानसभा सीटों के लिए होना है पर दिलचस्प जंग देखने को मिलेगी चंबल-ग्वालियर अंचल के 16 विधानसभा क्षेत्रों में। आमने-सामने होंगे महल और कांग्रेस। अंचल की राजनीति में कई दृश्य पहली बार देखने को मिलेंगे। जैसे, पहली बार महल के साथ समूची भाजपा होगी और पहली बार महल के साए से बाहर आकर कांग्रेस अकेले जोर आजमाएगी। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार अंचल के दौरे पर गए। पहली बार दौरे में उनके साथ थे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित तमाम भाजपा नेता। सदस्यता अभियान के नाम पर तीन जिलों में अच्छा खासा राजनीतिक मजमा देखने को मिला। इतिहास में संभवत: पहली बार महल के खिलाफ कांग्रेसी सड़कों पर उतरे और सिंधिया-गद्दार के नारे लगाए। यह तब भी नहीं हुआ था जब पूरे देश में कांग्रेस की तूती बोलती थी और राजमाता विजयाराजे सिंधिया एवं माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी थी। इसलिए उप चुनाव में आम चुनाव जैसी दिलचस्प जंग देखना हो तो चंबल-ग्वालियर अंचल का रुख करना चाहिए।

राजनीतिक गतिविधियों में आई गर्माहट

ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य भाजपाईयों के तीन दिनी मजमे के साथ आरोप-प्रत्यारोप में जैसी तेजी आई है, इससे पता चलता है कि उप चुनावों पर शीघ्र फैसला होने वाला है। चंबल-ग्वालियर अंचल में सिंधिया ने आरोप लगाए तो कमलनाथ, दिग्विजय सिंह कांग्रेस के अन्य नेताओं ने जवाब देने में देर नहीं की। दिग्विजय सिंह तो ग्वालियर ही पहुंच गए। कांग्रेस सड़कों पर निकली। रैली निकाली, धरना दिया और कोरोना की गाइडलाइन का उल्लंघन का आरोप लगाकर संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज कराने पहुंच गई। भाजपा के आयोजन का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया और हाईकोर्ट ने संबंधित जिलों के कलेक्टर, एसपी से जवाब तलब कर लिया। साफ है, उप चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक गतिविधियों मे गर्माहट आ गई।

उप चुनावों से तय होगा कौन कितने पानी में

अब तक कांग्रेस सिंधिया घराने के साए में चुनाव लड़ती रही है। पहले माधवराव सिंधिया थे, इसके बाद ज्योतिरादित्य। हालांकि सिंधिया का विरोध करते हुए डा. गोविंद सिंह, केपी सिंह सहित कई कांग्रेस नेता चुनाव जीतते रहे हैं। ज्योतिरादित्य को इस बार खुद लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इससे पता चलता है कि सब कुछ महल के इर्द-गिर्द ही नहीं है। इसीलिए उप चुनाव तय करेंगे कि अंचल में कांग्रेस कितने पानी में हैं और सिंधिया घराने का कितना असर है। हालांकि महल के असर का सही आकलन तब भी नहीं होगा क्योंकि सिंधिया के साथ समूची भाजपा भी है। बहरहाल नतीजे जैसे भी आएं पर चंबल-ग्वालियर सीटों के उप चुनाव रोचक होंगे। 

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