2 अप्रैल को प्रतिपदा के साथ प्रारंभ होगा नव संवत्सर, इस बार राजा शनि व मंत्री होंगे गुरु
2 अप्रैल को प्रतिपदा के साथ नव संवत्सर प्रारंभ होगा। इस बार नव संवत्सर के राजा शनि व मंत्री गुरु होंगे। इस दिन भगवान झूलेलाल जयंती, चैतीचांद व गुड़ी पड़वा का पर्व भी मनाया जाएगा। शनिवार के दिन नवसंवत्सर की 100 सालों में पंद्रहवीं व दस सालों में दूसरी बार होगी।;
भोपाल। 2 अप्रैल को प्रतिपदा के साथ नव संवत्सर प्रारंभ होगा। इस बार नव संवत्सर के राजा शनि व मंत्री गुरु होंगे। इस दिन भगवान झूलेलाल जयंती, चैतीचांद व गुड़ी पड़वा का पर्व भी मनाया जाएगा। पंडित रामजीवन दुबे गुरुजी ने बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष एकम शनिवार दो अप्रैल को नव संवत्सर का शुभारंभ होगा। नव संवत्सर के राजा शनि व मंत्री गुरू रहेंगे। शनिवार के दिन नवसंवत्सर की 100 सालों में पंद्रहवीं व दस सालों में दूसरी बार होगी। श्रीमद्भगवत देवी पुराण में बताया है कि पंचक में प्रारंभ नवरात्र पांच गुना फल देती है। माता की सवारी अश्व की रहेगी। नवरात्र में रवि पुष्य के साथ 4 रवि योग, 4 सर्वार्थ सिद्धि योग रहेंगे। पं. दुबे का कहना है कि सनातन संस्कृति में प्रतिपदा से ही नया साल प्रारंभ होता है। इसी दिन से मां भवानी के नौ रूपों की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र भी प्रारंभ होगी। लोग उपवास, व्रत और पूजा पाठ के साथ शक्ति का आह्वान करेंगे।
रवि पुष्य के साथ 4 सर्वार्थ सिद्धि योग का रहेगा
नवरात्र में रवि पुष्य के साथ चार रवि योग, चार सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग रहेगा। पहले दिन दो अप्रैल को रेवती नक्षत्र पंचक में मां शैलपुत्री के पूजन के साथ नवरात्र का प्रारंभ होगा। तीन अप्रैल को सर्वार्थ सिद्ध योग में मां ब्रह्मïचारिणी की पूजन होगा। चार अप्रैल को तृतीय मां चंद्रघंटा का पूजन रवि योग में होगा। पांच अप्रैल को मां कूष्माण्डा का पूजन सर्वार्थ सिद्ध योग में होगा। छह अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग में मां स्कंदमाता का पूजन किया जाएगा। सात अप्रैल को रवियोग में मां कात्यायनी की पूजा होगी। आठ अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग में मां कालरात्री की पूजा होगा। 9 अप्रैल को दुर्गा महाअष्टमी पर मां महागौरी पूजा रवियोग में होगी।