Niwari Vidhan Sabha : झांसी से सटे होने से निवाड़ी में उप्र की राजनीति का असर, सपा भी हर बार दिखाती है ‘ताकत’

Update: 2023-09-12 04:44 GMT

टीकमगढ़। पहले टीकमगढ़ जिले का हिस्सा रही और अब नए जिले में तब्दील निवाड़ी विधानसभा सीट में दो बार से भाजपा का कब्जा है। यह पार्टी 2013 से पहले यहां कभी जीत दर्ज नहीं कर सकी थी। झांसी से सटी होने के कारण निवाड़ी सीट पर उप्र की राजनीति का असर है। यहां सपा हमेशा ताकत के रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज कराती रही है। एक बार तो सपा की मीरा यादव यहां से विधायक रही हैं। इस बार फिर वे सपा से मैदान में हैं। बसपा भी यहां अच्छा वोट लेती है। इसकी वजह से इस बार भाजपा की राह आसान नहीं है। वह चतुष्कोणी मुकाबले में फंसी दिखाई देगी। 2008 में परिसीमन के बाद निवाड़ी विधानसभा पृथ्वीपुर से अलग हुई और पृथ्वीपुर विधानसभा अस्तित्व में आई। निवाड़ी विधानसभा पर परिसीमन के पहले लगातार तीन बार यहां से पूर्व मंत्री स्वर्गीय बृजेंद्र सिंह राठौर ने जीत दर्ज की। वे निर्दलीय जीते और कांग्रेस से भी।

हालांकि उन्हें 1990 में कांग्रेस ने टिकट दिया किंतु वह जनता दल के विक्रम सिंह से 11755 वोट से चुनाव हार गए थे। अगली बार कांग्रेस ने उन पर भरोसा नहीं जताया और उन्होंने निर्दलीय मैदान में अपना भाग्य आजमाया और भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज की। इसके साथ वे लगातार तीन चुनाव जीते। 2008 में विधानसभा चुनाव परिसीमन के बाद बृजेंद्र सिंह राठौर पृथ्वीपुर सीट पर पलायन कर गए और उनके जाने के बाद यहां पर कांग्रेस की हालत बदतर हो गई।

लगातार तीन चुनाव 2008, 2013 एवं 2018 में यहां कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई। परिसीमन के बाद पहली बार भाजपा टक्कर में दिखाई दी। 2008 के चुनाव में जहां भाजपा ने अनिल जैन पर दांव खेला, वहीं सपा से दीप नारायण यादव गरौठा उत्तर प्रदेश विधायक की पत्नी मीरा यादव प्रत्याशी बनी और भाजपा के अनिल को 15 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हरा कर सीट जीत ली। इसके बाद 2013 के चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा भाजपा को यह सीट दिलाने के लिए घोषणा की गई की यदि निवाड़ी सीट भाजपा के खाते में आती है तो निवाड़ी को जिला घोषित किया जाएगा।

उनका यह दांव कम कर गया और यहां से भाजपा के प्रत्याशी अनिल जैन ने सपा की मीरा यादव को 27209 मत से हरा दिया। 2018 के चुनाव से ठीक पहले 1 अक्टूबर 2018 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा निवाड़ी को 52वां जिला घोषित कर दिया गया और भाजपा फिर चुनाव जीत गई।

स्थानीय मुद्दे रहेंगे हावी

निवाड़ी में स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों के आधार पर ही चुनाव होगा। विपक्ष बताने वाला है कि प्रतापपुरा के अलावा क्षेत्र में कोई भी औद्योगिक इकाई नहीं है। पांच साल पहले निवाड़ी जिला तो बन गया लेकिन 5 साल बाद भी आज तक जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं जिला पंचायत कार्यालय के अलावा अन्य कार्यालय भवन नहीं बन सके। क्षेत्र में सेंट्रल स्कूल एवं अच्छी शिक्षा इकाइयों की कमी है। दूसरी तरफ भाजपा बताएगी कि उसने पुरानी मांग पूरी कर निवाड़ी को जिला बनाया। अलग जिला पंचायत बनी। ओरछा लोक कॉरिडोर का शिलान्यास मुख्यमंत्री ने कर दिया। इस तरह यह चुनाव स्थानीय मुद्दों पर होने वाला है।

यादव, ब्राह्मण मतदाता निर्णायक

निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण अपना खास असर डालते हैं। कहीं ब्राह्मण ज्यादा होने के कारण यहां से कांग्रेस जीतती रही जबिक यादवों की बहुलता के कारण सपा की मीरा यादव विधायक बन गईं। क्षेत्र में यादव मतदाताओं की तादाद लगभग 35 हजार एवं ब्राह्मणों की संख्या लगभग 27 हजार बताई जाती है। क्षेत्र में कुशवाहा समाज भी बड़ी तादाद में है। इनकी संख्या लगभग 28 हजार है। इसके अलावा अन्य जातियों हैं। दलित मतदाताओं की संख्या भी काफी है। इनकी बदौलत ही बसपा प्रत्याशी का अच्छे वोट मिल जाते हैं।

भाजपा की ताकत

निवाड़ी को जिला बनाने से ताकत

भाजपा ने चूंकि निवाड़ी को नया जिला बनाया है, इसलिए यह उसके लिए ताकत है। दो चुनाव भाजपा ने निवाड़ी को जिला बनाने के नाम पर ही जीते हैं। इसके अलावा लगातार दो बार से यहां पर भाजपा के विधायक के रूप में अनिल जैन निर्वाचित हो रहे हैं। लंबे समय बाद भाजपा आने के बाद कार्यकर्ता काफी संख्या में पार्टी से जुड़े हुए हैं। यह भी उसकी ताकत है।

भाजपा की कमजोरी

परिवारवाद का उलटा पड़ता पांसा

निवाड़ी से विधायक अनिल जैन की पत्नी जनपद अध्यक्ष निवाड़ी भी निर्वाचित हुई हैं। इसकी वजह से उन पर परिवारवाद के आरोप लग रहे हैं और भाजपा पर यह पांसा उलटा पड़ रहा है। यह चुनाव में पार्टी के लिए कमजोरी साबित हो सकता है। वहीं निरंकुश भ्रष्टाचार एवं संगठन से ताल मेल की कमी भी भाजपा की कमजोरी है।

कांग्रेस की ताकत

एंटी इंकम्बेंसी के कारण जोश

भाजपा सरकार एवं विधायक के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी को कांग्रेस यहां अपनी ताकत के तौर पर देख रही है। 15 साल बाद कांग्रेस यहां पुनः ताकत से मैदान में आने की तैयारी कर रही है। कार्यकर्ताओं में जोश दिखाई दे रहा है। कई मजबूत नेता कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी इस बार मुकाबले में दिख रही है।

कांग्रेस की कमजोरी

लगातार हार से मायूसी

निवाड़ी में कांग्रेस लगातार 15 वर्ष से चुनाव हार रही है। कई बार तो उसकी जमानत तक जब्त हो गई। इसकी वजह से कार्यकर्ता मायूस रहा। यह कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी है। इसके कारण पार्टी कार्यकर्ता दूसरे दलों में चला गया। कांग्रेस नए सिरे से कार्यकर्ताओं को सहेजने और खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

बसपा-सपा भी यहां पर प्रभावी

निवाड़ी विधानसभा सीट में सपा एवं बसपा का भी पर्याप्त प्रभाव है। यहां बसपा द्वारा अवधेश सिंह राठौर को अपना प्रत्याशी घोषित किया गया है और सपा ने अपनी पूर्व विधायक मीरा यादव को मैदान में उतार दिया है।

प्रमुख दावेदार

भाजपा

अनिल भाजपा के मजबूत दावेदार

भाजपा में लगातार दो बार से चुनाव जीत रहे विधायक अनिल जैन पार्टी के प्रमुख दावेदार हैं। भाजपा की ओर से उनका ही अगला प्रत्याशी माना जा रहा है। लेकिन पिछली बार चूंकि उनकी जीत का अंतर काफी घट गया था, ऐसे में यदि भाजपा ने टिकट काटा तो अमित राय, अखिलेश अयाची एवं पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अध्यक्ष नंदराम कुशवाहा की अपनी-अपनी दावेदारी जता रहे हैं।

कांग्रेस

रोशनी, बृजेंद्र कांग्रेस में मजबूत दावेदार

भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई नेत्री एवं जिला पंचायत सदस्य रोशनी यादव कांग्रेस की ओर से निवाड़ी के लिए प्रमुख दावेदार हैं। रोशनी पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव की बहू हैं। वहीं गरौठा उ.प्र.के पूर्व विधायक बृजेंद्र कुमार व्यास ने भी कांग्रेस ज्वॉइन की है। उनका भी कांग्रेस में मजबूत दावा है। इनके अलावा रजनीश पटेरिया, राजदीप सिंह राठौर भी अपनी दावेदारी जाता रहे हैं।

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