मध्यप्रदेश की राजधानी में 4 सौ पहुंचा अवैध टावरों का आंकड़ा, कार्रवाई की बजाय वैध करने की तैयारी
अवैध कॉलोनियों के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार ने अवैध टावरों को वैध करने के दरवाजे खोल दिये है। ऐसे में अब राजधानी भोपाल में लगे चार सौ से ज्यादा अवैध टावर वैध हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि, सरकार की एक नई पॉलिसी के चलते प्रति टावर एक लाख रुपए का राशि लेकर इन्हे वैध कर दिया जाएगा। अशोका गार्डन, बैरागढ़ और रचना नगर सहित अन्य क्षेत्रों में मोबाइल टावर के रेडिएशन को लेकर परेशान हैं। वे आशंकित हैं कि टावर के रेडिएशन से बीमारी फैल सकती है। इसलिए वहां के रहवासी मोबाइल टावर का विरोध कर रहे हैं।;
भोपाल। अवैध कॉलोनियों के बाद अब सरकार ने अवैध टावरों को वैध करने के दरवाजे खोल दिये है। ऐसे में अब राजधानी भोपाल में लगे चार सौ से ज्यादा अवैध टावर वैध हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि, सरकार की एक नई पॉलिसी के चलते प्रति टावर एक लाख रुपए का राशि लेकर इन्हे वैध कर दिया जाएगा। अशोका गार्डन, बैरागढ़ और रचना नगर सहित अन्य क्षेत्रों में मोबाइल टावर के रेडिएशन को लेकर परेशान हैं। वे आशंकित हैं कि टावर के रेडिएशन से बीमारी फैल सकती है। इसलिए वहां के रहवासी मोबाइल टावर का विरोध कर रहे हैं।
तीन सौ को पार कर चार सौ पहुंचे अवैध टावर
2015 शहर में 300 से ज्यादा मोबाइल टावरों को निगम खुद अवैध चिन्हित कर चुका है। जोकि अब बढ़ते बढ़ते इनकी संख्या चार सौ के पास हो चुकी है। तो वहीं अरेरा कॉलोनी के ई-7 सेक्टर में नया मोबाइल टॉवर लगाने को लेकर स्थानीय रहवासी विरोध जता रहें हैं। बता दें कि राज्य सरकार ने मोबाइल टावर पॉलिसी में बताया गया है कि मोबाइल टावरों में रेडिएशन नहीं होता है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे खतरनाक
मैनिट के एनर्जी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अनिल कुमार ने बताया कि मोबाइल टावर से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव कैंसर का कारण बनती हैं। इस रेडिएशन से जानवरों पर भी असर पड़ता है। यही वजह है कि जिस एरिया में मोबाइल टावरों की संख्या अधिक होती है, वहां पक्षियों की संख्या कम हो जाती है। मधुमक्खियां तो समाप्त हो गई हैं। मोबाइल टावर के 300 मीटर के दायरे में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। एक मीटर के एरिया में तो 100 गुना रेडिएशन होता है। वहीं एंटिना के सामने वाले हिस्से में सबसे ज्यादा तरंगें निकलती हैं। टावर के टावर पर जितने ज्यादा एंटिना लगे होंगे रेडिएशन भी उतना ज्यादा होगा।
यहां फैला टावरों का जाल
निगम की रिपोर्ट के अनुसार अवैध टावर कमर्शियल और आवासीय क्षेत्र में लगे हैं। ज्यादातर टावर रसूखदारों के मकानों पर हैं। इन पर हाथ डालने से निगम अमला कतराता है। सर्वे के अनुसार अवैध टावरों का जाल टावर एमपी नगर जोन-1, ई-8 शिवकुंज कॉलोनी और विद्या नगर, न्यू मार्केट, एमपी नगर से 2, अरेरा कॉलोनी, करोंद, इंद्रपुरी, गुलमोहर, चित्रगुप्त नगर, खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज, वैशाली नगर, गणेश मंदिर हबीबगंज क्रासिंग, टीटी नगर, शक्ति नगर मंदिर, लांबाखेड़ा रोड आदि क्षेत्र में है।
रिसर्च बताती है खतरनाक है मोबाइल टावर
2010 में डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ था कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है। हंगरी में वैज्ञानिकों ने पाया कि जो बहुत ज्यादा सेलफोन इस्तेमाल करते थे उनके स्पर्म की संख्या कम हो गई। जर्मनी में हुई रिसर्च के मुताबिक जो लोग ट्रांसमिटर एटिना के 400 मीटर के क्षेत्र में रह रहे थे, उनमें कैंसर होने की आशंका तीन गुना बढ़ गई। 400 मीटर के एरिया में ट्रांसमिशन बाकी एरिया से 100 गुना ज्यादा होता है। केरल में की गई एक रिसर्च के अनुसार मोबाइल फोन टावरों से होने वाले रेडिएशन से मधुमक्खियों की संख्या 60 फीसदी तक गिर गई है।
अवैध टावरों से अन्य नुकसान
- आंधी-बारिश में टावर गिरने का खतरा।
- टावर के बोझ से इमारतों को नुकसान।
- रखरखाव के लिए इस्तेमाल में होने वाले रसायनों से प्रदूषण
राजधानी में टावर
697 - मोबाइल टावर शहर में आॅन रिकार्ड
327 - अवैध टावर चिन्हित किए थे निगम ने
05 - के खिलाफ ही की कार्रवाई
322 - अवैध टावर अभी भी बने हैं खतरा
800 - टावर करीब आॅफ द रिकॉर्ड शहर में