बरखेड़ी फाटक से जान जोखिम में डाल डेढ़ लाख लोगों को करना पड़ रहा ट्रैक क्रॉस

8 साल से बनी हुई है यही स्थिति, वैकल्पिक रास्ते की कोई अन्य व्यवस्था नहीं, अंडरपास भी नाकाफी;

Update: 2022-02-15 12:37 GMT

भोपाल। बरखेड़ी फाटक के पास रेलवे लाइन पार करते एक सप्ताह पहले एक किशोरी मालगाड़ी के नीचे आ गई थी। गनीमत थी कि वहां से गुजर रहे कारपेंटर महबूब ने अपनी जान की चिंता किए बगैर उसे बचा लिया। लेकिन लाखों लोग रोजाना जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक पार कर आना-जाना करने को मजबूर है। दरअसल, रेलवे ने 8 साल पहले 2014 में ऐशबाग फाटक बंद कर दिया था। यहां पर रेलवे अंडरपास बनाया है, वहां से भी लोगों का निकलना मुश्किल है। क्योंकि वह करीब चार किमी दूर है। ऐसे में वाहन चालक तो इतना चक्कर लगाकर वहां से निकल रहे है। लेकिन पैदल चलने वालों को खासतौर से बच्चों के लिए कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं बनाया गया। रेलवे ने जो बाउंड्री बनाई है, तो कुछ जगह छोड़ गई है। तो कुछ जगहों पर लोगों ने उसे तोड़कर आने-जाने का रास्ता बना लिया है। हालाकि यहां पर एक ब्रिज बनाने की योजना है। लेकिन वह सालों से ठंडे बस्ते में है।

डेढ़ लाख लोग हो रहे परेशान

इस फाटक के एक ओर बरखेड़ी तो दूसरी ओर बाग उमराव दूल्हा, बाग फरहत अफ्जा, चाणक्यपुरी, महामाई का बाग, नवीन नगर, सोनिया गांधी कॉलोनी, ऐशबाग, अफकार कॉलोनी हैं। इन इलाकों में करीब डेढ़ लाख लोग इस समस्यां से दो चार हो रहे है। रहवासियों ने कई बार रेलवे व जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्यां को बता चुके है। इसके पहले 2 फरवरी 2021 को तत्कालीन डीआरएम उदय बोरवणकर को ज्ञापन देकर समस्या बताई थी। रहवासियों का कहना है कि उस समय डीआरएम ने तुरंत ही ज्ञापन को राज्य सरकार को फॉरवर्ड भी कर दिया था, लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ।

 चार किमी घूमकर जाना पड़ता है

आसपास के लोगों ने बताया कि रेलवे का अंडरपास किसी काम का नहीं है। रेलवे ने बरखेड़ी के अंदर आने के लिए अंडरपास बनाया है। वहां से गुजरकर ऐशबाग में एंट्री होती है। रहवासी हमीद खान ने बताया कि यहां से पैदल तो आया-जाया जा सकता है, लेकिन कार से बिल्कुल भी नहीं क्योंकि यहां से एंट्री के लिए सिर्फ दो संकरी गलियां हैं। वहीं, चार पहिया वाहन चालकों को मेन रोड पर पहुंचने के लिए चार किमी घूमकर जाना पड़ता है। फाटक खुला होने से ये दूरी एक किमी से भी कम होती थी।

इनका कहना है

रेलवे द्वारा बाउंड्रीवॉल बनाई जा रही है

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भीड़भाड़ वाले इलाके में रेलवे द्वारा बाउंड्रीवॉल बनाई जा रही है। जो बची हुई जगह है, वह भी शीघ्र बंद कर दी जाएगी।

सूबेदार सिंह, प्रवक्ता, भोपाल रेल मंडल

डेढ़ साल बाद मिलेगी ब्रिज की सुविधा

अभी इसके लिए टेंडर हो चुके हैं करीब दो महीने बाद बाकी की औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी। इस ब्रिज के बनने में कम से कम डेढ़ से दो साल लग सकते हैं।

संजय खांडे, चीफ इंजीनियर, पीडब्लूडी

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