Pradeep mishra big statement : मंदिरों में ड्रेस कोड को लेकर भड़के पंडित प्रदीप मिश्रा, कहा - नियमों की वजह से "हमारा बेटा-बेटी दूसरे धर्म में चले जाते हैं "

मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने पर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने बड़ा बयान दिया है, प्रदीप मिश्रा बोले भगवान को कभी कपड़ो से मतलब नहीं,ये सनातन धर्म को तोड़ने का एक नया विरोध शुरु हो गया।;

Update: 2023-07-06 11:59 GMT

भोपाल : इन दिनों भारतीय संस्कृति की तर्ज परमंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगादिया गया है। यह नियम न सिर्फ भोपाल बल्कि उत्तराखंड, देहरादून और ऋषिकेश के मंदिरों में भी लागू किया गया है । मंदिर समिति द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद से चारों तरफ बवाल मचा हुआ है। तो वही अब इस मामले में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने बड़ा बयान दिया है, प्रदीप मिश्रा बोले भगवान को कभी कपड़ो से मतलब नहीं,ये सनातन धर्म को तोड़ने का एक नया विरोध शुरु हो गया।

शिव कभी कपड़ों से प्रसन्न नहीं होते

इसके साथ ही प्रदीप मिश्रा ने ड्रेस कोड लागू करने वालो को विधर्मी बताया और कहा नियमो की वजह से ही हमारे बेटा-बेटी दूसरे धर्म की तरफ चले जाते हैं। कपड़े बदलने से परमात्मा मिलता होता तो शोरूम में जो पुतले होते हैं उनके रोज कपड़े बदले जाते हैं तो भगवान उनको मिल जाता। भोलेनाथ कपड़ा देखता है या कलेजा देखता है। शिव कभी कपड़ों से प्रसन्न नहीं होते, कुछ लोग हमारे ही सनातनियो के कान भर कर उनसे इस तरह की सलह दिलवाते है। प्रदीप मिश्रा के इस बयान के बाद प्रदेश में सियासी घमा सान शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।

इन 3 प्रसिद्ध मंदिरों में ड्रेस कोड लागू है-

पहला मंदिर हरिद्वार के कनखल में स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर है और दूसरा पौड़ी जिले में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर है । तीसरा मंदिर देहरादून में स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर है । जहां पर ड्रेस कोड लागू किया गया है । महानिवर्णी अखाड़े की ओर से महिलाओं व युवतियों से मंदिर में शालीन वस्त्रों में आने की अपील की गई है। महंत ने लड़कियों और महिलाओं से अपने परिवार के सदस्यों के साथ मंदिरों में कम से कम 80 प्रतिशत शरीर ढककर आने की अपील की है। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के मंदिरों में यह व्यवस्था पहले से है। अब यहां भी यह व्यवस्था लागू की जा रही है, ताकि मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े। यूपी के कई मंदिरों ने भी ऐसे नियम लागू किए हैं।

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