New Education policy: एमपी का स्कूल मर्जर मॉडल देशभर में लागू करने की तैयारी, नीति आयोग ने की सिफारिश

देशभर में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए मप्र का ‘एक शाला-एक परिसर’ मॉडल देशभर में अमल में लाया जा सकता है। नीति आयोग ने सभी राज्यों से इसकी सिफारिश की है।;

Update: 2023-11-24 07:02 GMT

New Education policy: भोपाल। देशभर में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए मप्र का ‘एक शाला-एक परिसर’ मॉडल देशभर में अमल में लाया जा सकता है। नीति आयोग ने सभी राज्यों से इसकी सिफारिश की है। इसमें कहा गया है कि जिन स्कूलों में 50 से कम छात्र हैं, उनका बड़े स्कूलों में विलय करना चाहिए। शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्तियों की भी सिफारिश की गई है। स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के मकसद से नीति आयोग ने 2017 में SATH- E (सस्टेनेबल एक्शन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग ह्यूमन कैपिल-एजुकेशन) प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसे तीन राज्यों मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में लागू किया गया।

एक परिसर एक पाठशाला

मध्य प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए 'एक शाला-एक परिसर' का मॉडल लागू है, लेकिन एमपी का यह स्कूल मॉडल अब देश के सभी राज्यों में लागू होगा। क्योंकि नीति आयोग ने मध्य प्रदेश का स्कूल मर्जर मॉडल देश भर में लागू करने की सिफारिश की है। दरअसल, 'एक शाला-एक परिसर' मॉडल के तहत स्कूलों का मर्जर किया जाता है। इस मॉडल के तहत एक किलोमीटर के दायरे में जितने स्कूल होते हैं, उनका मर्जर करके एक स्कूल बनाया जाता है।

मध्य प्रदेश में 35 हजार स्कूलों को 16 हजार स्कूलों में मिलाया गया

बता दें कि, अब तक मध्य प्रदेश में 35 हजार स्कूलों को 16 हजार स्कूलों में मिलाया गया है। ऐसा करने से न केवल शिक्षकों की कमी दूर हुई है, जबकि स्कूलों में प्रिंसिपल की कमी भी 55 प्रतिशत तक कम हुई है। इसके अलावा इस प्रयोग से सभी विषयों के शिक्षक भी एक ही स्कूल में उपलब्ध हो गए हैं, जिससे छात्रों को आसानी से हर विषय की शिक्षा मिल रही है। जबकि अधिकारियों पर भी स्कूलों की निगरानी करने का भार कम हुआ है। यह मॉडल सफल साबित होने के बाद अब मध्य प्रदेश ने 53 हजार 651 स्कूलों को एक परिसर वाले स्कूलों का 24 हजार 667 में विलय करने की योजना भी बनाई है।

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारेगी नीति आयोग

नीति आयोग ने कहा कि, इस मॉडल से देशभर में शिक्षकों की कमी पूरी होगी, जबकि स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता भी सुधरेगी। यही वजह है कि नीति आयोग ने यह सिफारिश अब देशभर में लागू करने की बात कही है। नीति आयोग की तरफ से बताया गया कि देशभर में फिलहाल 10 लाख शिक्षकों की कमी है, ऐसे में यह योजना लागू होने से शिक्षकों की कमी की समस्या बहुत हद तक सुलझाई जा सकती है।

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