कांग्रेस नेता केके मिश्रा को राहत: मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा दायर मानहानि याचिका कोर्ट ने की खारिज, बताई ये वजह
भोपाल की जिला अदालत ने प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा को बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मिश्रा के खिलाफ दायर मानहानि की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि याचिका सारहीन है। मुखयमंत्री चौहान द्वारा दायर किए गए मानहानि के परिवाद को दर्ज करने हेतु पेश की गई अपील को अपर सत्र न्यायाधीश धर्मेश भट्ट की अदालत ने निरस्त किया है।;
भोपाल। भोपाल की जिला अदालत ने प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा को बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मिश्रा के खिलाफ दायर मानहानि की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि याचिका सारहीन है। मुखयमंत्री चौहान द्वारा दायर किए गए मानहानि के परिवाद को दर्ज करने हेतु पेश की गई अपील को अपर सत्र न्यायाधीश धर्मेश भट्ट की अदालत ने निरस्त किया है।
पहले सुप्रीम कोर्ट ने दी थी सजा में राहत
मुखयमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मानहानि के मामले में तत्कालीन अपर जिला न्यायाधीश काशीनाथ सिंह ने 17 नवंबर 2017 को केके मिश्रा को दो साल के सश्रम कारावास और 25 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी। मिश्रा ने अपर जिला न्यायाधीश के फैसले को मप्र हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपर जिला न्यायाधीश के फैसले को निरस्त करते हुए मिश्रा को राहत प्रदान की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मामला व्यक्तिगत होने से इसे अदालत में पेश करने का अधिकार भी उसी व्यक्ति को है जिसकी मानहानि हुई हो।
सुप्रीम कोर्ट क फैसले के बाद लगाई याचिका
सुप्रीम के फैसले के बाद शिवराज सिंह चौहान की ओर से 27 अप्रैल 2018 को व्यक्तिगत रुप से केके मिश्रा के खिलाफ मानहानि का परिवाद तत्कालीन न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित श्रीवास्तव की अदालत में दायर किया गया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित श्रीवास्तव की अदालत ने शिवराज सिंह चौहान की ओर से दायर किये गये मानहानि के परिवाद को मामला समय सीमा से बाहर होने के कारण सुनवाई योग्य न पाते हुए निरस्त कर दिया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट के फैसले के खिलाफ मुखयमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से अपर जिला न्यायाधीश की कोर्ट में अपील पेश की गई थी।
मिश्रा ने लगाया था ये आरोप
गौरतलब है कि 21 जून 2014 को केके मिश्रा ने मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में एक प्रेस कान्फ्रेंस आयोजित कर सीएम व उनके परिजनों पर गंभीर आरोप लगाए थे कि परिवहन आरक्षक भर्ती मामले में सीएम की ससुराल गोंदिया महाराष्ट्र के 19 परीक्षार्थियों की नियुक्तिां की गई हैं।